नींद की कुर्बानी बना सकती है हाई बीपी का मरीज
रिसर्च से पता चलता है कि कम नींद लेना हाई ब्लड प्रेशर का एक सबसे बड़ा कारण बनकर उभर रहा है. काम और व्यस्तता के चलते कम नींद लेने वाले लोग हाइपरटेंशन की चपेट में आ रहे हैं.

आज भारत में 100 में से करीब 30 लोग हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी से जूझ रहे हैं. एनआईएच-एनसीबीआई की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों में शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में कोई विशेष अंतर नहीं है, ये दोनों ही क्षेत्रों में तेजी से बढ़ने वाली बीमारी बन चुका है. हाई बीपी के बढ़ने के पीछे कई कारण हैं लेकिन कम नींद एक ऐसा कारण है जो लगभग सभी की जिंदगी से जुड़ा है. आजकल की जीवनशैली के चलते लोगों को कम नींद लेने की आदत भी पड़ चुकी है और अन्य कामों के चलते नींद की कुर्बानी देते रहते हैं जो कुछ समय के बाद उन्हें हाइपरटेंशन सहित कई गंभीर बीमारियों की खाई में धकेल देती है.
दिल्ली के मैक्स अस्पताल में इंटरनल मेडिसिन के डायरेक्टर डॉ. मुकेश मेहरा कहते हैं कि हम सभी जानते हैं कि खराब लाइफस्टाइल की वजह से कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है. इसी तरह हाई बीपी के मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. इससे बीमारी की चपेट में बड़े-बुजुर्ग ही नहीं बल्कि छोटे बच्चे भी आ रहे हैं. बीपी की वजह से और भी गई बीमारियां हैं जो मरीजों को गंभीर बना रही हैं.
हाई ब्लड प्रेशर के कई कारण होते हैं लेकिन हाई ब्लड प्रेशर की एक और बड़ी वजह सामने आ रही है और वह है कम नींद. आजकल काम की अधिकता या व्यस्त जीवनशैली के के चलते लोग अपनी नींद से समझौता करने लगते हैं. जैसा कि हम अच्छी तरह से जानते हैं कि नींद पूरी न लेने पर स्वास्थ्य से संबंधित कई बड़ी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है, जैसे ब्रेन स्ट्रोक, डायबिटीज, हार्ट संबंधी समस्याएं और हाई बीपी.
6 घंटे से कम सोना है
डॉ. मुकेश कहते हैं कि रोजाना 6 घंटे से कम चैन की नींद लेने वाले लोगों को हाई बीपी की समस्या ज्यादा देखी जा रही है. इसीलिए कहा जा रहा है कि बीपी को कंट्रोल करने के लिए पर्याप्त नींद लेना जरूरी है.
सामान्यतः लक्षण
कम नींद लेने वाले जो लोग हाई बीपी की बीमारी की तरफ बढ़ रहे हैं, उनमें कुछ लक्षण नजर आने लगते हैं, जैसे सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ, घबराहट, रात को बेचैनी होना. बीपी को कंट्रोल करने के लिए जरूरी है कि नींद पूरी लेने के अलावा भोजन में नमक और पोटेशियम की मात्रा को भी कंट्रोल करना चाहिए. शुगर और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को कम करना चाहिए. वजन नियंत्रित और लंबाई के अनुसार रहना चाहिए.

खराब आदतें:
शराब पीकर सोना- शराब पीने वाले लोगों को लगता है कि वे इसे पीकर आसानी से से जाते हैं जबकि शराब नींद को डिस्टर्ब करती है. यह स्लीप पैटर्न को खराब करती है.
फोन देखकर सोना- आज कल लोगों का स्क्रीन टाइम बढ़ना एक बड़ी समस्या है. किसी भी एज ग्रुप में आजकल लोग देर-रात तक जाग जागकर फोन देखते हैं. बेड पर फोन लेकर जाते हैं और लास्ट मोमेंट तक फोन देखते हैं. वहीं कई लोग टीवी या लैपटॉप आदि देखने के तुरंत बाद जाकर सोते हैं. ब्लू लाइट इफैक्ट या स्क्रीन की लत आजकल नींद को प्रभावित करने का सबसे आसान और कॉमन कारण है.

लाइफस्टाइल- वर्किंग स्टाइल या लाइफस्टाइल से नींद खराब होने की समस्या तेजी से बढ़ी है. वर्क फ्रॉम होम हो, किसी विदेशी कंपनी में ऑनलाइन काम हो जिसमें दिन रात का अंतर रहता हो, या देर रात तक बैठकर काम करने की आदत हो, यह भी बीपी बढ़ाने का गंभीर कारण है. इससे मानसिक समस्याएं भी पैदा होती हैं.
उठने और रात को सोने का समय में अनिश्चिता – बहुत सारे लोग हैं जो काम के चलते न तो सुगह फिक्स समय उठते हैं और न ही रात को तय समय पर सोते हैं, ये दोनों रूटीन उनके बदलते रहते हैं. इसके अलावा लोग काम के चलते या तो व्यायाम नहीं करते या स्किप कर देते हैं. ब्रेकफास्ट और दवा का भी एक नियमित समय होना चाहिए. इन सभी चीजों के समय में बदलाव होने से नींद भी प्रभावित होती है और बीपी अनियंत्रित होने लगता है.
खाना खाकर तुरंत सोना- रात को खाना खाकर सोना भी नींद को धीरे-धीरे कम कर देता है. कुछ लोग कहते हैं कि खाना-खाने के बाद तुरंत नींद आती है लेकिन ऐसा करने से अच्छी नींद नहीं आती, नींद या तो बीच-बीच में खुलेगी या सोने में दिक्कत आएगी. वहीं ये खाना शरीर को ऊर्जा देने के बजाय शरीर में ही जमने लगेगा और मोटापा बढ़ेगा. इससे फैटी लिवर, एसिडिटी, स्लीप एपनिया, मोटापा, नींद में कमी होती है. शरीर में ऑक्सीजन की कमी भी हो जाती है.
अपने लाइफ स्टाइल को सुन्तुलित रख कर ही बीमारियों से बचा जा सकता है और बहुत सारी मानसिक जटिलताओ से दूर रहा जा सकता है |
