Spadex Mission में ISRO ने रचा इतिहास… ऐसा करने वाला चौथा देश बना भारत

ISRO Spadex Mission: भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक और बड़ा मुकाम हासिल कर लिया है। ISRO ने बुधवार (16 जनवरी) को इतिहास रचते हुए स्पेस में दो सैटेलाइट़्स को सफलतापूर्वक डॉक कर दिया। इस उपलब्धि के साथ, भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन गया है।

यह मिशन 30 दिसंबर 2024 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च हुआ था। इस मिशन से भविष्य के चंद्रयान-4, गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन जैसे अंतरिक्ष मिशनों की राह आसान होगी।

successful Docking के बाद ISRO ने दी जानकारी
इसरो द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, अंतरिक्ष यान डॉकिंग सफलतापूर्वक पूरी हुई है। यह एक ऐतिहासिक क्षण है। स्पैडेक्स डॉकिंग प्रक्रिया के बारे में इसरो ने बताया कि, ’15 मीटर से 3 मीटर होल्ड पॉइंट तक पैंतरेबाज़ी पूरी हुई। डॉकिंग की शुरुआत सटीकता के साथ हुई, जिससे अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक कैप्चर किया गया। वापसी सुचारू रूप से पूरी हुई, इसके बाद स्थिरता के लिए कठोरता बरती गई। इस तरह डॉकिंग प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी हुई। भारत अंतरिक्ष डॉकिंग में सफल होने वाला चौथा देश बन गया। इसके पहले अमेरिका, रूस और चीन ही ऐसे देश थे जिन्होंने डॉकिंग में सफलता पाई थी। इसरो द्वारा इस मिशन में लगी पूरी टीम को बधाई दी गई है।

30 दिसंबर को लॉन्च हुआ था स्पेडएक्स मिशन
भारत ने PSLV-C60 रॉकेट के जरिए 30 दिसंबर को श्रीहरिकोटा से स्पेडएक्स मिशन लॉन्च किया था। इस मिशन के तहत पृथ्वी से 470 किमी ऊपर दो स्पेसक्राफ्ट्स ‘टारगेट’ और ‘चेजर’ को स्पेस ऑर्बिट में स्थापित किया गया था। 16 जनवरी को दोनों सैटेलाइट्स को सफलतापूर्वक जोड़ा गया। इससे पहले 7 और 9 जनवरी को डॉकिंग की कोशिशें तकनीकी समस्याओं के कारण टालनी पड़ी थीं। इसरो के मुताबिक, यह डॉकिंग भविष्य के स्पेस मिशन्स के लिए मील का पत्थर साबित होगी।

स्पेडएक्स मिशन का क्या है उद्देश्य?
स्पेडएक्स मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष में दो यानों की डॉकिंग और अनडॉकिंग की तकनीक का प्रदर्शन करना था। इसके जरिए इलेक्ट्रिक पावर ट्रांसफर और कनेक्टेड स्पेसक्राफ्ट्स के ऑपरेशन का परीक्षण किया गया। यह तकनीक भारत के आगामी चंद्रयान-4 और गगनयान मिशन के लिए बेहद जरूरी है। स्पेडएक्स की सफलता ने चंद्रयान-4 और गगनयान जैसे मिशनों के लिए नई राह खोल दी है। चंद्रयान-4 के जरिए चंद्रमा की मिट्टी को पृथ्वी पर लाने की योजना है। वहीं, गगनयान मिशन के तहत भारत पहली बार मानव को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी कर रहा है। स्पेडएक्स से इन मिशनों में तकनीकी मजबूती मिलेगी।

स्पेस डॉकिंग क्यों होता है अहम?
स्पेस डॉकिंग का मतलब है, अंतरिक्ष में दो यानों को जोड़ना। यह तकनीक भविष्य में अंतरिक्ष स्टेशन बनाने और इंटरप्लानेटरी मिशन के लिए आवश्यक है। डॉकिंग के बाद दोनों यानों के बीच डेटा और पावर ट्रांसफर होता है। यह भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान में एक बड़ा कदम है।डॉकिंग के बाद अगले कुछ दिनों में दोनों यानों के बीच पावर ट्रांसफर का प्रदर्शन किया जाएगा। इसके बाद, इन्हें अलग कर अपने-अपने पेलोड ऑपरेशन शुरू करने के लिए तैनात किया जाएगा। स्पेडएक्स मिशन से दो साल तक डेटा मिलता रहेगा, जो भारत के अंतरिक्ष अभियानों को और मजबूत करेगा।

भारत बना चौधा देश
ISRO ने Spadex मिशन के तहत अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को जोड़ने का चौथा प्रयास किया था,जो सफल रहा। वैज्ञानिकों ने डॉकिंग प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। टीम ने पूरी जानकारी का विश्लेषण किया और इस ऑपरेशन की सफलता की पुष्टि की। डेटा की समीक्षा पूरी होने के बाद आधिकारिक घोषणा भी कर दी गई। इसरो ने अपने बयान में कहा कि दो उपग्रहों को जोड़ने के बाद, दोनों को एक ही वस्तु के रूप में नियंत्रित करने में सफलता मिली है। आने वाले दिनों में उपग्रहों को अलग करने और बिजली हस्तांतरण की जांच की जाएगी।

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