काशी: भोले के भक्तों ने खेली चिता भस्म से होली, उल्लास में डूबे बाबा के गण

वाराणसी। भगवान शिव की नगरी काशी भी गौरा का गौना रंगभरी एकादशी पर होने के साथ उत्साह और उल्लास से भर जाती है।
इसी कड़ी में बाबा की नगरी काशी में शिव के गणों ने विविध भूत प्रेत पिशाच का स्वांग धरा और हर हर महादेव के उद्घोष के साथ चिता भस्म की होली खेलने गंगा तट पर पहुंच गए।
बाबा की नगरी में मस्त मलंग उनके भक्तों की टोली बैंड बाजा और बरात लेकर गौरा के गौना के रंगभरी एकादशी के मौके पर चिता भस्म की होली खेलने शहर से लेकर गंगा घाटों तक नजर आए।
भूत प्रेत और पिशाच का स्वांग भरकर बाबा के भक्तों ने कपाल मुंडों की माला के साथ नाचना गाना शुरू किया तो काशी परंपराओं में पगी नजर आने लगी।

बाबा भोलेनाथ के नेह के डोर में पगे भक्तों ने आशीष के नेग की कामना के साथ नाच गाना शुरू किया तो चिताओं की भस्म से पूरा वातावरण शिवमय नजर आने लगा।
गंगा घाट पर आस्था का मेला उमड़ा तो हर हर महादेव का उद्घोष गंगा तट पर शिव के स्वरूपों में नजर आने लगा। शिव के गणों ने बाबा की नगरी में उल्लास का रंग बिखेरा तो गलियों से गंगा घाट तक रंग एकादशी की परंपराएं जीवंत हो उठीं।
राग विराग से पगी काशी नगरी में मृत्यु भी उत्सव है और यहां उत्सवी रंग महाश्मशान के घाटों पर भी नजर आता है।

बाबा मशाननाथ भी मान्यता है कि भक्तों के हुड़दंग में उल्लासित होकर प्रतिभाग करते हैं और काशी को ही नहीं वरन पूरे विश्व को आशीर्वाद प्रदान करने करते हैं।
