पं. दीनदयाल की पुण्यतिथि आज: सीबीआई ने माना था कि हत्या के पीछे कोई राजनीतिक मकसद नहीं

वाराणसी। भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष पं. दीनदयाल उपाध्याय की मृत्यु 10/11 फरवरी 1968 के बीच मुगलसराय स्टेशन यार्ड में हुई थी। वे पठानकोट एक्सप्रेस से लखनऊ से पटना जा रहे थे। उनका शव मुगलसराय यार्ड में बिजली के खंभा नंबर 1276 के करीब मिला था।

मुगलसराय पुलिस द्वारा घटना की जांच शुरू की गई लेकिन अगले दिन 12 फरवरी को मामले को यूपी सीआईडी को सौंप दिया गया। तत्कालीन गृहमंत्री ने 14 फरवरी को सदन में सीबीआई जांच की घोषणा की।

जांच के परिणामस्वरूप तीन मई 1968 को चार्जशीट प्रस्तुत की गई। सीबीआई ने जांच के बाद यह माना कि हत्या के पीछे कोई राजनीतिक मकसद नहीं था।

दो अभियुक्तों के खिलाफ सीबीआई ने अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया। पहला अभियुक्त मीरघाट का रहने वाला भरत लाल डोम था। दूसरा अभियुक्त देवरिया का राम अवध बनिया था।

काशी से सवार हुए थे दोनों आरोपी

दोनों आरोपी भरतलाल और राम अवध बनिया ट्रेन की बोगी में काशी स्टेशन से सवार हुए थे। इस समय डिब्बे के मध्य बी केबिन में दीनदयाल उपाध्याय और एक में एमपी सिंह थे।

पं. उपाध्याय ने आरोपियों को उनके प्रवेश पर आपत्ति जताई और दोनों को डिब्बे के एक छोर पर शौचालय के पास गलियारे में बैठने के लिए कहा।

इसके बाद वे शौचालय चले गए, लौटने के बाद उनकी नींद टूटी और उन्होंने आरोप लगाया कि वे चोर थे, वह उन्हें मुगलसराय में पुलिस को सौंप देंगे। मुगलसराय स्टेशन अब काफी नजदीक था।

राम अवध ने ट्रेन को रोकने के लिए चेन खींचने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हुआ और इसलिए दोनों आरोपी प्लेटफार्म को देखने के लिए दरवाजे पर आ गए। दीनदयाल उपाध्याय ने दरवाजे तक उनका पीछा किया।

प्लेटफार्म कितना दूर था इसकी जांच करने के लिए वह दरवाजे पर झुक गए। उस समय दोनों आरोपियों ने उन्हें चलती ट्रेन से धक्का दे दिया और वह पोल नंबर 1276 के पास जमीन पर गिर गए। ट्रेन के मुगलसराय पहुंचने के बाद अभियुक्तों ने बैग और बिस्तर सहित उनका सामान हटा दिया।

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