शिवसेना और एनसीपी दीमक की तरह कमजोर कर रहे हैं कांग्रेस को: कांग्रेस नेता

मुंबई। महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार में शामिल कांग्रेस पार्टी ने शिवसेना और एनसीपी पर अपनी पार्टी को कमजोर करने की साजिश करने का आरोप लगाया है।
कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी के नाम लिखी एक चिट्ठी में मुंबई कांग्रेस के महासचिव विश्वबंधु राय ने उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली महाविकास अघाड़ी (शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस) सरकार के रवैये पर सवाल उठाए हैं।
सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में विश्वबंधु राय ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस को अनदेखा किया जा रहा है और सरकार सिर्फ एनसीपी और शिवसेना चला रही है।
‘महाराष्ट्र सरकार में कांग्रेस पार्टी ने एक वर्ष में क्या पाया और क्या खोया’ शीर्षक से सोनिया गांधी को लिखे पत्र में मुंबई कांग्रेस महासचिव विश्वबंधु राय ने कहा कि महाराष्ट्र की एमवीए (महाविकास अघाड़ी) सरकार का एक साल पूरा हो गया है।
इस दौरान कांग्रेस पार्टी उद्धव सरकार में सहयोगी के तौर पर बनी हुई है। शिवसेना और एनसीपी महाराष्ट्र में सरकार चलाने की भूमिका में नजर आ रहे हैं। पत्र में उन्होंने आरोप लगाया कि एनसीपी दीमक की तरह कांग्रेस पार्टी को कमजोर कर रही है।
अपने पत्र में कई प्वाइंट में विश्वबंधु राय ने दावा किया कि कांग्रेस पार्टी के मंत्रियों को महाराष्ट्र सरकार में बड़ी संख्या में जमीनी स्तर पर संगठन का कोई काम नहीं मिल रहा है। आम जनता के साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं को मंत्रियों के विभाग का पता नहीं है।
उन्होंने कहा कि हमारे सहयोगी दल सोची समझी रणनीति बनाकर हमारी पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं और अपनी पार्टी को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं।
उन्होंने आगे कहा कि साल 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी द्वारा किए गए चुनावी वादों पर कोई काम नहीं किया जा रहा है। पार्टी से पलायन को रोकने के लिए कुछ ठोस कदम आवश्यक हैं।
उन्होंने आगे कहा कि शिवसेना और एनसीपी को गठबंधन धर्म पर चलने के लिए हिदायत दिए जाने की भी जरूरत है। बता दें कि महाराष्ट्र में गठबंधन की सरकार है जिसमें कांग्रेस, एऩसीपी और शिवसेना शामिल है।
माना जा रहा है कि मुंबई कांग्रेस के महासचिव विश्वबंधु ने जिस तरह के आरोप अपने खत में सहयोगी दलों पर लगाए हैं, उससे सियासी तापमान बढ़ सकता है।
हालांकि, अभी तक इस चिट्ठी पर शिवसेना और एनसीपी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, मगर देखने वाली बात होगी कि इस खत का महाराष्ट्र की सियासत पर क्या असर पड़ता है।
