सर सीवी रमन: नोबेल पुरस्कार जीतने वाले एशिया के पहले वैज्ञानिक

Sir CV Raman

विज्ञान का नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले भारतीय वैज्ञानिक सर सीवी रमन का जन्म 7 नवंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरूचिरापल्ली में हुआ था।

आसमान नीला क्यों है? यह बताने वाले रमन इफेक्ट की खोज करने वाले चंद्रशेखर वेंकटरमन (सीवी रमन) ​​​​काशी हिंदू विश्वविद्यालय में लाइफटाइम विजिटिंग प्रोफेसर भी रहे।

विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले एशिया के पहले वैज्ञानिक सर चंद्रशेखर वेंकटरमन का जन्म 7 नवंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरूचिरापल्ली में हुआ था। प्रकाश परावर्तन के क्षेत्र में उनकी खोज के लिए रमन को 1930 में भौतिक शास्त्र के नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था।

सीवी रमन ने जिस समय अपनी यह अद्भुत खोज की वह आजादी से पहले का कठिनाइयों से भरा दौर था और प्रयोग करने के लिए आधुनिक यंत्रों और प्रयोगशालाओं का नितांत अभाव था, लेकिन तमाम मुश्किलों के बावजूद विज्ञान के प्रति रमन का रुझान उन्हें विश्व के शीर्ष सम्मान तक ले गया।

सीवी रमन पहली बार 1921 में BHU के प्रतिनिधि बनकर ही ऑक्सफोर्ड गए। जब वह शिप से यात्रा कर रहे थे, तब उनके मन में आया कि समुद्र का रंग नीला क्यों होता है। तब तक लोग इसे आसमान का इफेक्ट मानते थे। यात्रा पूरी कर जब वह भारत लौट रहे थे तो उन्होंने स्पेक्ट्रोग्राफ रखा।

रास्ते में पड़ने वाले ग्लेशियरों और पानी पर प्रकीर्णन कराकर कुछ डाटा कलेक्ट किए। जर्नल नेचर में एक लेख प्रकाशित कराने को भेजा। मगर 7 साल बाद 28 फरवरी को उनके इस खोज को दुनिया समझ पाई और 2 साल बाद 1930 में उन्हें फिजिक्स में नोबल से पुरस्कृत किया गया।

आज इस खोज के ही दिन को भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। 1954 में उन्हें भारत रत्न की उपाधि से विभूषित किया गया तथा 1957 में लेनिन शान्ति पुरस्कार भी प्रदान किया गया।

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