शादी की तुलना में लिव-इन रिलेशनशिप में बढ़ा युवाओं का रुझान
Relationship: विदेशों के कल्चर की तरह अब भारतीय युवा भी लिव-इन रिलेशनशिप यानी बिन फेरे हम तेरे में अधिक रुझान दिखा रहे है। एक सर्वे के मुताबिक 10 में से 8 भारतीय युवा शादी से पहले लिव-इन रिलेशनशिप में रहना चाहते है।
पश्चिमी कल्चर के तर्ज पर अब भारतीय युवाओं में ‘लिव-इन रिलेशनशिप ( Live In Relation) को लेकर एक अलग तरह क्रेज बढ़ता दिखाई दे रहा है। एक सर्वे के मुताबिक, हर दूसरा भारतीय युवा शादी से पहले लिव-इन रिलेशनशिप में रहना चाहता है।
हालाकि इसको लेकर हाल ही में कई हाईकोर्ट ने गंभीर चिंता व्यक्त की थी और ‘लिव-इन रिलेशनशिप को भारतीय समाज के लिए कलंक बताया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि यह भारतीय समाज के मूल्यों व सिद्धांतों के विपरीत आयातित दर्शन है। युवा शादी के बजाय, इसलिए लिव-इन रिलेशन को तरजीह दे रहे हैं क्योंकि इससे अलग होना काफी आसान है।
क्या है लिव-इन रिलेशनशिप ?
लिव-इन रिलेशनशिप की परिभाषा एक ऐसी रहने की व्यवस्था है जिसमें अविवाहित साथी एक साथ रहते हैं और एक ऐसा दीर्घकालिक संबंध बनाए रखते हैं जो विवाह के बराबर होता है। लिव-इन रिलेशनशिप का मूल सिद्धांत यह है कि भावी साथी प्रतिबद्ध होने से पहले अपनी अनुकूलता का आकलन करना चाहते हैं। विवाह की औपचारिकता के बिना, लिव-इन रिलेशनशिप एक वास्तविक मिलन है जिसमें एक जोड़ा एक ही कमरे में सोता है।
दुनियाभर में विभिन्न सामाजिक और अन्य मुद्दों पर शोध करने वाली संस्था ‘रिसर्चगेट भारतीय युवाओं में बढ़ते लिव-इन रिलेशनशिप के क्रेज को लेकर शोध करके यह जानने का प्रयास किया कि आखिर इसकी वजह किया है। कई पश्चिमी देशों में लिव-इन रिलेशनशिप का प्रचलन बहुत ज़्यादा है।
महानगरीय जीवन शैली
रिपोर्ट्स के अनुसार भारतीय समाज में यह गलत धारणा फैली है कि लिव-इन रिश्ते मुख्य रूप से शारीरिक सुख के इर्द-गिर्द घूमते हैं, जबकि वास्तव में हर मामले में ऐसा नहीं होता है। इसमें कहा गया गया है कि युवाओं को लिव-इन रिलेशनशिप चुनने के लिए कई तरह की प्रेरणाएं मिलती है और इसमें से शहरीकरण, खासकर महानगरीय जीवन शैली और आधुनिकीकरण जो समकालीन जीवन के केंद्र के रूप में कार्य करते हैं। शोध में कहा गया है कि शहरी परिवेश रिश्तों के प्रति अधिक उदार दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है जो उन पारंपरिक मानदंडों को चुनौती देता है जो कभी विवाह की पवित्रता को निर्धारित करते थे। साथ ही कहा है कि इसकी वजह से युवा लिव रिलेशनशिप को तरजीह देते हैं।
भारत में तेजी से बढ़ता चलन
इन तमाम तथ्यों के बाद भी भारत में भी युवाओं में ‘लिव इन रिलेशनशिप’ की स्वीकार्यता बढ़ रही है। शायद इसलिए भी क्योंकि यह धर्म, जाति, वर्ग और नस्ल के परे जाकर सम्बन्धों को मान्य करता है। हालांकि अधिकांश मामलों में शुरू में परस्पर आकर्षण और आपसी सहमति से बनने वाले ये अंतरंग सम्बन्ध बाद में सतत झगड़े और यौन शोषण में तब्दील हो जाते हैं।
वैवाहिक जीवन का पूर्वाभ्यास है लिव-इन रिलेशनशिप
लिव-इन रिलेशनशिप जोड़ों को शादी के लिए प्रतिबद्ध होने से पहले उनकी अनुकूलता का आंकलन करने की अनुमति देता है।रिसर्च के अनुसार युवा शादी से पहले लिव-इन रिलेशनशिप में इसलिए रहना चाहते हैं क्योंकि वे विवाह करने के पहले, लॉन्ग टाइम रिलेशन के लिए अनुकूलता का आकलन कर सकें। शोध में कहा गया है कि इस अवधि के दौरान, इस रिश्ते में रहने वाले युवा पार्टनरों का लक्ष्य पैसा, लिंग, धर्म और राजनीति जैसे विभिन्न पहलुओं पर एक-दूसरे के साझा हितों और दृष्टिकोण को समझता है। साथ ही कहा गया है कि ऐसा इसलिए करते हैं कि एक सफल रिश्ते की नींव रख सकें।
पैसे से जुड़ी फैसले लेने की आजादी
शोध के अनुसार वैवाहिक जीवन में आर्थिक निर्णय आमतौर पर पति-पत्नी द्वारा संयुक्त रूप से लिए जाते हैं और दोनों इसका पालन करने के लिए बाध्य होते हैं। वहीं लिव-इन रिलेशन में, लड़का-लड़की अपने स्वयं के वित्तीय निर्णयों पर स्वायत्तता बरकरार रखते हैं। इसका मतलब यह है कि जब एक साथी अपना पैसा खर्च करना चाहता है, तो वह दूसरे के हस्तक्षेप के बिना ऐसा करने के लिए स्वतंत्र है। इसके अतिरिक्त, दोनों भागीदार कुछ वित्तीय जिम्मेदारियां साझा करना चुन सकते हैं। इसकी वजह से उनके बीच कम झगड़े होते हैं।
आसानी से एक दूसरे से अलग होना
शोध के मुताबिक चूंकि रिश्ते में कोई कानूनी समझौता नहीं है, इसलिए इसे जितनी आसानी से शुरू किया जा सकता है, ख़त्म भी किया जा सकता है। दोनों पार्टनर आपसी सहमति से रिश्ता खत्म करने, बाहर निकलने और आगे बढ़ने का फैसला कर सकते हैं। लिव-इन रिलेशनशिप के प्रति युवाओं में क्रेज इसलिए बढ़ रही है। विवाह के विपरीत, लिव-इन संबंधों में भागीदारों के बीच कानूनी दायित्वों की कमी होती है, जिसकी वजह से इस रिश्ते में शामिल होना और अलग होना आसान हो जाता है। वहीं एक बार शादी होने के बाद अलग होने में काफी जटिल कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना होता है।
हर दूसरा भारतीयों युवा रहना चाहता लिव-इन में
एक अन्य सर्वे में कहा गया है कि हर दो भारतीयों युवा में से एक लिव इन रिलेशनशिप में रहना चाहता है। यह सर्वे ओटीटी प्लैटफॉर्म लायंसगेट प्ले एक अन्य संस्था के साथ मिलकर किया। इस सर्वे में कहा गया कि 34 फीसदी युवाओं ने कहा कि उनके माता-पिता को लिव-इन रिलेशनशिप पर कोई आपत्ति नहीं है।
इस सर्वें में शामिल 50 फीसदी महिलाओं ने कहा कि घर का खर्च महिलाओं और पुरुषों को आधा-आधा बांटना चाहिए। वहीं महज 37 फीसदी पुरुषों ने कहा कि घर का खर्च दोनों को समान रूप से उठाना चाहिए। 66 फीसदी पुरुष सब कुछ भूलकर अपने पहले प्यार के पास वापस जाने के लिए तैयार रहते हैं, जबकि 53 महिलाएं अपने पुराने प्रेमी को भूलकर नई शुरुआत करती हैं।