ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में उप्र का दूसरा स्थान, जल्द आएगा भारी निवेश

10 देशों की कंपनियां करेंगी पैतालीस हज़ार करोड़ से अधिक का निवेश

कोविड के बाद निवेशकों को आकर्षित करने के लिए योगी सरकार ने बनाई विशेष नीति

लखनऊ। प्रदेश की योगी सरकार द्वारा औद्योगिक विकास के लिए किए गए नीतिगत सुधारों के सकारात्मक परिणाम मिलने प्रारम्भ हो गए हैं। अनेक राष्ट्रीय एवं विदेशी कंपनियां उत्तर प्रदेश में 45,000 करोड़ रुपये का निवेश करेंगी।

कोरोना संकट के बीच उप्र सरकार उद्योगों को बढ़ावा देने और प्रदेश के नागरिकों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए नित नए कदम उठाये जा रहे हैं।

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यही कारण है की हाल ही में उप्र ने ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में पिछले 3 वर्षों में 12 स्थानों की अभूतपूर्व प्रगति करते हुए देश में दूसरा स्थान प्राप्त किया है।

उप्र के अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग आयुक्त अलोक टंडन ने कोरोना महामारी के बाद पनपे हालातों के बीच राज्य के औद्योगिक विकास के लिए सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों की जानकारी देते हुए बताया कि कोविड संकट से लड़ते हुए उप्र तेजी से भारत के प्रमुख आर्थिक केन्द्र के रूप में उभर रहा है।

पिछले 6 महीनों में उप्र के औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में निवेश परियोजनाओं के लिए लगभग 420 एकड़ भूमि आवंटित किया गया है।

जिसमें लगभग 6,700 करोड़ रुपये का निवेश होगा। इन परियोजनाओं से लगभग 1,35,362 लोगों को रोज़गार मिलेगा।

प्रदेश सरकार ने निवेश की प्रक्रियाओं का सरल बनाया है। भारत के सबसे बड़े डिजिटल सिंगल विण्डो पोर्टल निवेश मित्र के माध्यम से उद्यमियों की 90 प्रतिशत शिकायतों का सफलतापूर्वक निस्तारण किया गया है।

जिसके फल स्वरुप राज्य सरकार ने 40 से अधिक निवेश आशयों को आकर्षित करने में सफलता प्राप्त की है।

जिसमें लगभग 10 देशों-जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका(यूएस) यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, जर्मनी, दक्षिण कोरिया आदि की कंपनियों के लगभग 45,000 करोड़ रुपये के निवेश-प्रस्ताव सम्मिलित है।

जिसमें हीरानंदानी ग्रुप द्वारा डाटा सेंटर में रु. 750 करोड़, ब्रिटानिया इण्डस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा एकीकृत खाद्य प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने में रु. 300 करोड़, एसोसिएटेड ब्रिटिश फूड पीएलसी (एबी मौरी) (यूके) द्वारा खमीर मैन्यूफैक्चरिंग में रु.750 करोड़ का निवेश प्रस्तावित है।

डिक्सन टेक्नोलॉजीज द्वारा कन्ज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स में रु.200 करोड़, वॉन वेलिक्स (जर्मनी) द्वारा फुटवियर निर्माण में रु. 300 करोड़, सूर्या ग्लोबल पलेक्सी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा पीओपीपी, बीओपीईटी मेटालाइज्ड फिल्म्स प्रोडक्शन प्लांट में रु.953 करोड़ का निवेश प्रस्तावित है।

मैक सॉफ्टवेयर (यूएस) द्वारा सॉफ्टवेयर विकास में रु.200 करोड़, एकैग्रेटा इंक (कनाडा) द्वारा अनाज अवसंरचना उपकरणों में रु.746 करोड़ का निवेश प्रस्तावित है।

एडिसन मोटर्स (दक्षिण कोरिया) द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों में रु.750 करोड़ तथा याजाकी (जापान) द्वारा वायरिंग हारनेस तथा कम्पोनेंट्स में रु. 2,000 करोड़ का निवेश प्रस्तावित है।

उन्होंने बताया राज्य सरकार ने कोविड-19 कालखण्ड के उपरान्त ‘पिछड़े क्षेत्रों के लिए त्वरित निवेश प्रोत्साहन नीति-2020’ घोषित की है।

इसके अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के पूर्वाचल, मध्यांचल और बुंदेलखण्ड क्षेत्रों में नई औद्योगिक इकाइयों को फास्ट ट्रैक मोड में आकर्षक प्रोत्साहन प्रदान किए जा रहे हैं।

इन्ही क्षेत्रों में अधिकतर प्रवासी मजदूरों व कामगारों की वापसी हुई है। विभिन्न नए स्वदेशी व विदेशी निवेश प्रस्तावों की सुविधा के लिए राज्य सरकार ने ‘इन्वेस्ट यूपी’ में  हेल्पडेस्क स्थापित किया है।

‘मेक-इन-यूपी’ को प्रोत्साहित करने के लिए एक्सप्रेसवेज के किनारे कई औद्योगिक पार्को के विकास की योजना है।

फिरोजाबाद, आगरा, उन्नाव, चित्रकूट, मैनपुरी और बाराबंकी जिलों से लगभग 22,000 एकड़ भूमि चिन्हित की गई है।

उन्होंने कहा राज्य सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिज़ाइन एण्ड मैन्यूफैक्यरिंग योजना के तहत कम्पोनेट निर्माताओं को प्रोत्साहित करने के लिए नई इलेक्ट्रॉनिक्स नीति घोषित की है। लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को ‘उद्योग का दर्जा प्रदान किया गया है।

जोनिंग नियमों में संशोधन किया गया है, जिससे लॉजिस्टिक्स इकाइयों को औद्योगिक भू-उपयोग का लाभ मिल सके।

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बड़ी राहत देते हुए मण्डी परिसर के बाहर लेनदेन पर मण्डी शुल्क को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है।

कोविड-19 के बाद 14,900 करोड़ रुपये के निवेश- प्रस्तावों को वास्तविक परियोजनाओं में परिवर्तित कर उत्तर प्रदेश सरकार अब तक 43 प्रतिशत हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापनों (एमओयू) का कार्यान्वयन करवाने में सफल हुई है।

सरकार द्वारा नए प्रकार के उद्योगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है, जैसे- बल्क ड्रग तथा मेडिकल डिवाइस मैन्यूफैक्चरिंग,लॉजिस्टिक्स, डिफेंस, डेटा सेंटर आदि।

सभी औद्योगिक विकास प्राधिकरणों को आवेदन की तिथि से 15 दिनों के भीतर भूमि प्रदान करने के लिए निर्देशित किया गया है।

ग्रेटर नोएडा में बन रहे जेवर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से 6 किमी दूर 1,000 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल की फिल्म सिटी बन रही है।

इसके अतिरिक्त एमएसएमई पार्क, इलेक्ट्रॉनिक्स पार्क, परिधान पार्क, हस्तशिल्प पार्क और खिलौना पार्क भी इस क्षेत्र में प्रस्तावित हैं।

इन योजनाओं में 40,000 करोड़ रुपये के निवेश और लगभग 2.5 से 3 लाख लोगों को रोजगारों मिलने की सम्भावना है।

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