योगी के खिलाफ चाणक्य का मोहरा, सांसद बृजभूषण ने सीएम को लेकर कह दी ये बात..
Politics: उत्तर प्रदेश की सबसे चर्चित सीटों में शामिल कैसरगंज पर बीते कई दिनों से टिकट को लेकर मचा संग्राम थम चुका है। नामांकन के आखिरी समय में भाजपा ने यहां से सांसद बृजभूषण शरण सिंह के बेटे करण भूषण सिंह को चुनावी मैदान में उतारा। अब बृजभूषण शरण सिंह ने हाल ही में मीडिया चैनल को दिए एक इंटरव्यू में इशारों इशारों में ही में ही प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से दूरी बरतने की बात कह दी है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को अपना नेता स्वीकार किया, लेकिन मुख्यमंत्री योगी के सवाल पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
टीवी चैनल इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में बृजभूषण सिंह ने पीएम मोदी से बात होने के सवाल पर कहा- देखिए पिछले एक साल के दौरान मेरी बात नहीं हुई। ना तो मैंने बात करने की कोशिश की और ना ही उन्होंने मुझे फोन किया। हां, मोदीजी हमारे नेता हैं। इसके बाद यह पूछे जाने पर कि क्या योगीजी भी आपके नेता हैं? उन्होंने जवाब दिया- सिर्फ मोदी जी हमारे नेता हैं। अब बाकी जो सोचना है, सोच लीजिए। मुझे विवाद में मत फंसाइए।’
सीएम योगी पर कही ये बात
योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के सवाल पर बृजभूषण ने कहा, ‘उनका भाग्य था, इसलिए सीएम बन गए. ठाकुर पॉलिटिक्स के सवाल पर बृजभूषण ने कहा, ना मैं ठाकुर नेता हूं और ना वो ठाकुर नेता हैं. वो संत हैं.’ आपका नेता कौन हैं? इस पर उन्होंने कहा कि हमारे नेता मोदी जी हैं. वहीं ये पूछने पर कि क्या योगी जी आपके नेता नहीं हैं? इस सवाल पर भाजपा सांसद ने कहा कि, ‘इसपर आपको जो अंदाजा लगाना है लगा लिजिए इसपर मैं कुछ नहीं कहूंगा.’
‘भाग्य से सीएम बन गए योगी’
इसी इंटरव्यू के दौरान बृजभूषण ने योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के सवाल पर कहा, ‘उनका भाग्य था, इसलिए सीएम बन गए।’ प्रदेश में ठाकुर पॉलिटिक्स के सवाल पर बृजभूषण ने कहा- ना मैं ठाकुर नेता हूं और ना योगीजी ठाकुर नेता हैं। वह संत हैं। हम सबको साथ लेकर चलते हैं। भले विचारधारा अलग हो। हिंदु, मुस्लिम, सिख, ईसाई सबको साथ लेकर चलते हैं। हम वोट की नजर से नहीं देखते हैं। आज भी सैकड़ों की संख्या में मुस्लिम समाज के लोग मिलकर गए हैं।
बुलडोजर और छुट्टा जानवर नीति का विरोध
बृजभूषण इससे पहले बुलडोजर नीति का भी कड़ा विरोध कर चुके हैं। पिछले साल गोंडा में अवैध अतिक्रमण पर हुई कार्रवाई के बाद बृज भूषण ने कहा था कि इस नीति के तहत किसी के भी मकान को अवैध निर्माण बता कर गिरा दिया जाता है, वह गलत नीति है। बुलडोजर नीति के आगे आखिर न्याय प्रणाली का क्या महत्व रह जाता है? तर्क दिया जाता है कि वह मकान या भवन सरकारी जमीन, नजूल या फिर ग्राम सभा की जमीन पर बना हुआ है। लेकिन सवाल है कि पहले इसे क्यों नहीं रोका जाता?
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