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भारत का ग्रोथ मॉडल बन सकता है अन्य देशों के लिए विकास का टेम्पलेट: नागेश्वरन
India’s Growth Model: लोकतांत्रिक और संघीय शासन संरचना में रहते हुए भारत की विकास यात्रा अन्य देशों के लिए एक मॉडल है। यह बयान भारत के चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर (सीईए), डॉ. वी.अनंत नागेश्वरन ने दिया।
दक्षिण अफ्रीकन और भारतीय बिजनेस लीडर्स के सेमिनार में बोलते हुए नागेश्वरन ने कहा, “भारत सबसे बड़ी आबादी वाला देश है जो लोकतांत्रिक राजनीति और संघीय शासन संरचना के रहते हुए खुद को एक विकसित राष्ट्र में बदलने की कोशिश कर रहा है। इस कारण भारत का अनुभव दक्षिण अफ्रीका सहित कई देशों के लिए बहुत उपयोगी टेम्पलेट होंगे।”
नागेश्वरन ने विकसित भारत विजन के बारे में भी चर्चा की और कहा कि भारत अगले 25 वर्षों में 3 ट्रिलियन डॉलर से 13 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा। देश अपने इस लक्ष्य के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर, डिरेगुलेशन और शिक्षा में निवेश के जरिए लगातार कार्य कर रहा है।
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उन्होंने आगे कहा कि जब हमारे पास अर्थव्यवस्था के लिए लक्ष्य होते हैं, तो हमें याद रखना चाहिए कि ये परिणाम हमारे नियंत्रण से परे विभिन्न कारकों से प्रभावित होते हैं। विकसित भारत को प्राप्त करने के लिए हम जो प्रयास कर सकते हैं, केवल वही हमारे नियंत्रण में है।
नागेश्वरन के मुताबिक, परिणाम वैश्विक कारकों के अधीन होंगे, लेकिन भारत सरकार ने पिछले दस वर्षों में जो करने की कोशिश कर रही है। उसे अगले दस वर्षों में भी करना जारी रखेगी। हम उन बिल्डिंग ब्लॉक्स को स्थापित कर रहे हैं जो हमें विकसित भारत तक ले जाएंगे।
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नागेश्वरन ने नए वैश्विक परिवेश में देशों के बीच साझेदारी के लिए बदले हुए दृष्टिकोण की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
नागेश्वरन ने बताया,”द्वितीय विश्व युद्ध के बाद किसी भी समय देशों को एक-दूसरे पर इतना निर्भर रहने की जरूरत नहीं पड़ी, जितनी अब है। हमें खुले विचारों वाला बनने की जरूरत है। साथ ही हम साझेदारी बनाने में विकल्प नहीं चुन सकते बल्कि अवसरवादी बन सकते हैं क्योंकि दुनिया अब मंथन के दौर में है।”
भारत के उच्चायुक्त प्रभात कुमार ने कहा कि भारत वर्तमान में चीन और अमेरिका के बाद दक्षिण अफ्रीका का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, लेकिन दूसरे स्थान पर पहुंचने की ओर अग्रसर है।
उन्होंने कहा, “जर्मनी और भारत उस स्थान के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। चीन का आकार बहुत बड़ा है, लेकिन निकट भविष्य में हम शायद निर्यात और आयात दोनों में नंबर दो बन सकते हैं।”
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