I.N.D.I.A गठबंधन की ओर से 14 न्यूज़ एंकरों के बहिष्कार के फ़ैसले पर घमासान

विपक्षी I.N.D.I.A गठबंधन ने देश के 14 जाने-माने टीवी एंकरों के शोज का बहिष्कार करने का फैसला किया है। इंडिया की समन्वय समिति की बुधवार को हुई बैठक में चर्चा हुई कि कुछ न्यूज एंकर्स विपक्षी दलों की आवाज दबाने की कोशिश करते हैं, इसलिए उनका बायकॉट किया जाए।

इमेज क्रेडिट- सोशल मीडिया प्लेटफार्म

इस प्रस्ताव पर गठबंधन दलों ने सहमति जताई। इसी प्रस्ताव पर आगे बढ़ते हुए गठबंधन ने गुरुवार को 14 एंकरों की लिस्ट जारी कर दी। कांग्रेस मीडिया सेल के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने सोशल मीडिया एक्स पर इसकी जानकारी दी है। उन्होंने लिखा है, ‘आज दोपहर बाद इंडिया मीडिया कमिटी की हुई बैठक में निम्नलिखित फैसला लिया गया।’

गठबंधन ने कहा है कि उसने ‘नफ़रत भरे’ न्यूज़ डिबेट चलाने वाले इन टीवी एंकरों के कार्यक्रमों का बहिष्कार का फ़ैसला किया है.

उन्होंने इस टिप्पणी के साथ गठबंधन की तरफ से जारी बयान की कॉपी भी पोस्ट की है। इसमें ‘इंडिया मीडिया कमिटी का फैसला’ शीर्षक के नीचे लिखा है, ’14 सितंबर की तारीख से जारी बयान में कहा गया है, ‘इंडिया समन्वय समिति की 13 सितंबर, 2023 को हुई बैठक में लिए गए निर्णय के मुताबिक इंडिया में शामिल दल इन एंकरों के शोज में अपने प्रतिनिधि नहीं भेजेंगे।’

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बुधवार को ही कहा था कि विपक्षी गठबंधन की समन्वय समिति ने मीडिया से संबंधित कार्य समूह को उन एंकरों के नाम तय करने के लिए अधिकृत किया है, जिनके शो पर विपक्षी गठबंधन का कोई भी सदस्य अपने प्रतिनिधियों को नहीं भेजेगा।

बीजेपी ने विपक्षी गठबंधन के इस फैसले की कड़ी आलोचना की है। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ‘इंडियन नैशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि उसके घटक सिर्फ दो चीजें कर रहे हैं, जिनमें सनातन संस्कृति को कोसना और मीडिया को धमकी देना शामिल हैं। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में आरोप लगाया, ‘इन दलों में आपातकाल के दौर की मानसिकता जिंदा है।’ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने यह भी कहा, ‘आईएनडीआई गठबंधन को अपनी हरकतों से तुरंत बाज आना चाहिए। उन्हें इसके बजाय रचनात्मक कार्य और लोगों की सेवा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।’

भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस के इतिहास में मीडिया को धमकी देने और अलग-अलग विचारों वाले लोगों को चुप कराने के कई उदाहरण हैं। इस क्रम में उन्होंने प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के कार्यकाल का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, ‘पंडित नेहरू ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया और उनकी आलोचना करने वालों को गिरफ्तार किया। इंदिरा जी तो इस मामले में स्वर्ण पदक विजेता बनी हुई हैं। उन्होंने प्रतिबद्ध न्यायपालिका, प्रतिबद्ध नौकरशाही का आह्वान किया और भयावह आपातकाल लगाया। राजीव जी ने मीडिया को राज्य के नियंत्रण में लाने की कोशिश की लेकिन बुरी तरह विफल रहे।

उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार सोशल मीडिया हैंडल पर सिर्फ इसलिए प्रतिबंध लगा रही थी क्योंकि कांग्रेस को उनके विचार पसंद नहीं थे। नड्डा ने कहा, ‘इन दिनों, आईएनडीआई गठबंधन केवल दो चीजें कर रहा है: सनातन संस्कृति को कोसना… सनातन संस्कृति को गालियां देने में, प्रत्येक दल में एक दूसरे को पछाड़ने की होड़ मची है। दूसरा, मीडिया को धमकी देना- प्राथमिकी दर्ज करना, पत्रकारों को धमकी देना, पूरी नाजी स्टाइल में लिस्ट बनाना कि किसे निशाना बनाना है। इन दलों में आपातकाल के दौर की मानसिकता जिंदा है।’

उधर, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी पत्रकारों पर बहिष्कार के फैसले की आलोचना की है। उन्होंने एक रैली में कहा, ‘अब तो इन्होंने पत्रकारों को भी बायकॉट करना शुरू कर दिया, मुकदमें भी करने शुरू कर दिए। चाहे चेन्नई में देखो, चाहे बंगाल में देखो, छटपहटा-घबराट में अब ये मुकदमें दर्ज कर रहे हैं और साथ में कहते हैं- सनातन धर्म को खत्म करेंगे।’

उनसे पहले कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी एक्स पर एक पोस्ट डालकर कुछ पत्रकारों पर पक्षपात करने का आरोप लगाया। उन्होंने लिखा, ‘पत्रकार अपनी आचार संहिता के खिलाफ जाने को मजबूर हो रहे हैं, ताकि उनके मालिकों के व्यावसायिक और राजनीतिक हितों को पूरा किया जा सके। बार-बार, भारत के कॉर्पोरेट स्वामित्व वाले मीडिया ने राहुल गांधी जी को इस शासन और उसके गुर्गों के लिए उनकी स्पष्ट और निडर विरोध के लिए अनुचित रूप से निशाना बनाया है।

अब, ईमानदार रिपोर्टरों को राहुल गांधी को बदनाम करने के लिए पक्षपाती ट्रोल बनने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इन कठिन समयों में साहस के लिए ईमानदार पत्रकारों को सराहा जाना चाहिए। लेकिन मीडिया के दिग्गज, जिनमें से एक पीएम मोदी के सबसे अच्छे दोस्त हैं, पूरी तरह से मोदी के धुन पर नाच रहे हैं। इस भ्रष्ट, विभाजनकारी और समझौता परस्त मीडिया के हिस्से को जनहित का दुश्मन, पत्रकारिता के नेक पेशे और भारतीय लोकतंत्र पर धब्बा माना जाना चाहिए।’

उधर, पत्रकारों ने गठबंधन में शामिल विपक्षी दलों के सामूहिक निर्णय पर चिंता जाहिर कर रहे हैं। अभिजीत मजूमदार ने लिखा, राहुल गांधी, जो मोहब्बत की दुकान चलाते हैं, विदेश यात्राओं पर मोदी सरकार द्वारा मीडिया को दबाने के बारे में शिकायत करते हैं। आज, कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन I.N.D.A ने 14 पत्रकारों को प्रतिबंधित कर दिया है जो उनसे कठिन सवाल पूछते हैं। यह पाखंड नहीं है? यह दंभ है कि भारतीय मूर्ख हैं और किसी भी झूठ पर यकीन कर लेंगे। वहीं, श्रीमॉय तालुकदार कहते हैं, ‘यह इस बात का सबसे ठोस सबूत है कि अगर I.N.D.A गठबंधन सत्ता में आता है, तो वह उन पत्रकारों के खिलाफ सख्ती से पेश आएगा जो उनके दबाव में नहीं झुकते। राहुल गांधी के विदेश जाकर मीडिया की स्वतंत्रता पर लंबी-चौड़ी बातों का क्या हुआ!’

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