Election Results 2023: यूपी की सियासत पर विधानसभा चुनाव नतीजों का असर, बनेगा इंडिया का भविष्य?

Election: चार राज्यों के नतीजे जारी होते ही कई समीकरण बिगड़ गए. लोकसभा का सेमीफाइनल बताए गए इन चुनावों में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया है. बीजेपी ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को करारी शिकस्त देकर हिंदी भाषी राज्यों में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है. वहीं राजस्थान और छत्तीसगढ़ में शिकस्त मिलने के बीच कांग्रेस ने तेलंगाना में सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को सत्ता से बेदखल कर दिया.

इमेज क्रेडिट-सोशल मीडिया प्लेटफार्म

विधानसभा चुनावों में इंडिया गठबंधन के घटक दलों के बीच के मतभेद भी खुलकर सामने आए थे. एमपी में सीटों को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच घमासान देखने को मिला. इंडिया गठबंधन का हिस्सा होने बावजूद दोनों पार्टियों ने कई सीटों पर अपने-अपने उम्मीदवार उतार दिए थे. जिसके नतीजे भी सामने हैं. 

निराशाजनक रहा सपा का प्रदर्शन

कांग्रेस को जहां करारी हार मिली वहीं सपा भी कुछ खास नहीं कर पाई और पार्टी का कहीं भी खाता नहीं खुला. हालांकि, इंडिया गठबंधन की पार्टी रालोद ने अच्छा प्रदर्शन किया. कांग्रेस ने रालोद को राजस्थान में एक ही सीट दी थी और पार्टी ने वहां शानदार जीत हासिल की. इन सबके बीच बसपा का प्रदर्शन ज्यादा अच्छा रहा. 

बसपा ने अपने दम पर चुनाव लड़ा था और उसे लगभग सभी राज्यों में थोड़ी बहुत सफलता हाथ लगी. छत्तीसगढ़ में बसपा की सहयोगी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को एक सीट मिली. मध्य प्रदेश में बसपा कोई सीट नहीं जीत पाई, लेकिन एक-दो सीटों पर अच्छी टक्कर दी. राजस्थान में बसपा ने दो सीटें हासिल की हैं. इन नतीजों ने बसपा सुप्रीमो मायावती को संजीवनी देने का काम किया है.  

सपा नेता का कांग्रेस पर हमला

कांग्रेस की हार के बाद अब सपा नेता और आक्रामक हो गए हैं और कह रहे हैं कि यूपी में कांग्रेस केवल दो सीटों वाली पार्टी है. सपा प्रवक्ता फकरुल हसन चांद ने यूपी तक से कहा कि हमारा लक्ष्य बीजेपी को हटाना था, लेकिन इन चुनावों में हमें लगा कि कांग्रेस का मकसद क्षेत्रीय दलों का खत्म करने का था. इंडिया गठबंधन बनाते वक्त ये बात हुई थी विधानसभा चुनाव में मिलकर चुनाव लड़ेंगे, लेकिन चुनाव में पता चला कि ये गठबंधन तो केवल लोकसभा के लिए है. इसके अलावा कमलनाथ का अखिलेश यादव को लेकर दिया गया बयान आपत्तिजनक था. इस बात को लेकर सपा के कार्यकर्ताओं में गुस्सा था. 

“कांग्रेस की यूपी में हैसियत दो सीट की”

उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में यूपी में कांग्रेस को दो सीट से ज्यादा नहीं देनी चाहिए. कांग्रेस को सीट देना बीजेपी की मदद करना होगा और सपा ऐसा काम नहीं करेगी. कांग्रेस हिंदी बेल्ट में कहीं नहीं है. न ही ये हिंदी बेल्ट की कोई पार्टी है. कांग्रेस की गुटबाजी भी हार का कारण है. कांग्रेस को अहंकार ले डूबा है. क्षेत्रीय दल मेहनत कर रहे हैं और कांग्रेस उनकी मेहनत पर पानी फेरने का काम कर रही है. कांग्रेस अब केवल साउथ की पार्टी रह गई है. एमपी में हमारी जो हैसियत थी हम उसके हिसाब से सीट मांग रहे थे जो उन्होंने हमें नहीं दी, अब कांग्रेस की यूपी में जो हैसियत है उसी के अनुसार सीट दी जाएगी. 

“मतभेद भुलाकर इंडिया गठबंधन को मजबूत करना “

वहीं आरएलडी नेता अनिल दुबे ने कहा कि रालोद को कांग्रेस ने केवल एक सीट दी और हमने वहां जीत हासिल की. हालांकि हम ज्यादा सीटें मिलने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन हमें एक ही सीट दी गई थी. अब रणनीति बनाई जानी चाहिए और जो दल जहां पर प्रभावशाली, मजबूत हैं उन्हें वहां तवज्जो दी जाए. हमें बीजेपी से लड़ना है, कांग्रेस से नहीं लड़ना. आपसी मतभेद भुलाकर इंडिया गठबंधन को मजबूत करना होगा. 

अखिलेश यादव के नेतृत्व में चुनाव”

इन नतीजों पर जेडीयू प्रवक्ता अवलेश कुमार सिंह ने कहा कि कांग्रेस ने क्षेत्रीय दलों का सम्मान किया होता तो नतीजे कुछ और होते. कांग्रेस ने अखिलेश यादव को महत्व नहीं दिया. अगर सपा को 10 सीटें भी दी होती तो नतीजे कुछ और रहते. कांग्रेस को सभी क्षेत्रीय दलों को साथ लेकर चलना चाहिए था. ये कांग्रेस की भूल थी. उन्होंने कर्नाटक चुनाव जीतने के बाद क्षेत्रीय दलों का सम्मान नहीं किया. 6 दिसंबर को इंडिया गठबंधन की बैठक होगी उसमें अब फैसला लिया जाएगा. यूपी में लोकसभा चुनाव अखिलेश यादव के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. यहां कांग्रेस का जनाधार नहीं है, वे केवल 2-4 सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं. 

Back to top button