Gyanvapi Case: सुप्रीम कोर्ट ज्ञानवापी याचिका पर आज करेगा सुनवाई, HC के निर्णय को चुनौती का मामला

सर्वोच्च न्यायालय, ज्ञानवापी की अंजुमन मसाजिद इंतजामिया कमेटी की याचिका पर आज सुनवाई करेगा। व्यास जी के तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा करने की इजाजत देने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय को मस्जिद कमेटी ने चुनौती दी है।

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सुप्रीम कोर्ट ज्ञानवापी की अंजुमन मसाजिद इंतजामिया कमेटी की याचिका पर आज सुनवाई करेगा। विवादित ढांचे के दक्षिणी छोर पर स्थित व्यास जी के तहखाने में हिंदुओं को पूजा-अर्चना करने की अनुमति देने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को मस्जिद कमेटी ने चुनौती दी है। काशी विश्वनाथ मंदिर की ओर से नामित हिन्दू पुजारी और याचिकाकर्ता शैलेंद्र कुमार पाठक का कहना है कि उनके परनाना सोमनाथ व्यास दिसंबर 1993 तक इस तहखाने में पूजा-अर्चना करते थे। लेकिन छह दिसंबर 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचे के विध्वंस के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने तहखाने में पूजा बंद करवा दी थी।

अंजुमन मसाजिद इंतजामिया कमेटी की याचिका पर सुनवाई

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्डीवाला और मनोज मिश्रा की खंडपीठ ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख कर रही अंजुमन मसाजिद इंतजामिया कमेटी की याचिका पर सुनवाई करेगी। इस याचिका में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए पूजा-अर्चना पर रोक लगाने की मांग की गई है।

वाराणसी की अदालत ने पूजा-अर्चना की अनुमति दी

कमेटी की उस याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। जिसमें जिला अदालत के फैसले को चुनौती दी गई। उच्च न्यालाय ने अपने आदेश में कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर से लगी मस्जिद के व्यास तहखाने में पूजा करने के फैसले को चुनौती दी गई है। वाराणसी की अदालत ने 31 जनवरी को अपने आदेश में हिंदू भक्तों को व्यास जी के तहखाने में पूजा-अर्चना करने की अनुमति दी थी।

सुनवाई अदालत के समक्ष

काशी विश्वनाथ मंदिर की ओर से नामित हिन्दू पुजारी और याचिकाकर्ता शैलेंद्र कुमार पाठक का कहना है कि उनके परनाना सोमनाथ व्यास दिसंबर, 1993 तक इस तहखाने में पूजा-अर्चना करते थे। लेकिन छह दिसंबर, 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचे के विध्वंस के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने तहखाने में पूजा बंद करवा दी थी। हालांकि सुनवाई अदालत के समक्ष मुस्लिम पक्ष का दावा था कि तहखाने में कभी कोई मूर्ति थी ही नहीं। इसलिए 1993 तक वहां पूजा होने का सवाल ही नहीं उठता है।

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