स्वामी विवेकानंद- ऐसा संपूर्ण व्यक्तित्त्व, आज अधिक प्रासंगिक हैं जिसके विचार

Swami Vivekanand

नई दिल्ली। स्‍वामी विवेकानंद का जन्‍म 12 जनवरी 1863 को हुआ था. भारत में उनके जन्‍मदिन को युवा दिवस के तौर पर मनाया जाता है।

उन्‍होंने रामकृष्‍ण मठ, रामकृष्‍ण मिशन और वेदांत सोसाइटी की नींव रखी थी। स्वामी विवेकानंद के विचार आज भी प्रेरणादायक हैं।

स्वामी विवेकानंद बहुत कम उम्र में ही संन्यासी बन गए थे। पश्चिमी देशों को योग-वेदांत की शिक्षा से अवगत कराने का श्रेय स्वामी जी को ही जाता है।

स्वामी विवेकानंद ने 19वीं शताब्दी के अंत में विश्व मंच पर हिंदू धर्म को एक मजबूत पहचान दिलाई थी। उनका असली नाम नरेंद्रनाथ दत्त था, जिन्हें नरेन के नाम से भी जाना जाता है।

उनका कहना था – उठो, जागो और तब तक नहीं रुको, जब तक तुम अपना लक्ष्य हासिल नहीं कर लेते। जिस समय, जिस काम का संकल्प करो, उस काम को उसी समय पूरा करो, वरना लोग आप पर विश्वास नहीं करेंगे।

उनके अनुसार दिन में एक बार खुद से जरूर बात करो, वरना आप दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति से बात करने का मौका खो देंगे और खुद को कभी कमजोर न समझो, क्योंकि यह सबसे बड़ा पाप है।

स्वामी जी का मानना था कि किसी भी देश का विकास उसकी युवा पीढ़ी पर निर्भर करता है इसलिए राष्ट्र को चिंतक व अच्छे विचार वाले युवाओं की आवश्यकता है।

वह कहते थे कि विदेशों की भौतिक समृद्धि की भारत को जरूरत है लेकिन हमें याचक नहीं बनना चाहिए। हमारे पास उससे ज्यादा है जो हम पश्चिम को दे सकते हैं और पश्चिम को उसकी ज्यादा जरूरत है।

वह पश्चिम से वैज्ञानिक सोच, ज्ञान व नए आविष्कारों को लेने की बात करते थे। वह अपनी उच्च संस्कृति, परम्पराओं और रीति-रिवाजों का सम्मान करते थे। आज पूरी दुनिया हमारी संस्कृति की कायल है क्योंकि इसमें मूल्यों की अहमियत है।

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