135 देशों में रहने वाले भारतीयों के लिए यादगार बनीं काशी की यह देव दीपावली

इस देव दीपावली का अमेरिका, कनाडा व इंग्‍लैंड समेत 135 देशों में हुआ लाइव प्रसारण

वाराणसी (उप्र)। इस साल देव दीपावली पर 15 लाख से अधिक दीयों से रोशन काशी के घाट, गंगा की लहरों पर लेजर शो का अदभुत नजारा सिर्फ यूपी व देश के लोगों के लिए ही नहीं बल्कि 135 देशों में रहने वाले भारतीयों के लिए भी यादगार साबित हुआ।

प्रधानमंत्री व मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की पहल पर इस साल देव दीपावली का लाइव प्रसारण अमेरिका, न्‍यूजीलैंड, कनाडा समेत 135 देशों में किया गया।

विदेशों में रहने वाले भारतीय ने भी मां गंगा के अर्धचन्द्राकार घाटों पर जल रहे दीपों का नयनाभिराम नजारा लाइव देखा।

यह पहली देव दीपावली है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भाग लिया। ऐसे में इस आयोजन को दिव्य और भव्य बनाने में काशी के लोग कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी।

काशी के सभी 84 घाट इस देव दीपावली पर दीयों की रोशनी से जगमग थे। उस समय अद्धचंद्राकार गंगा से इन घाटों का अद्भुत नजारे ने प्रवासियों को भक्तिमय कर दिया।

खासकर गंगा ने दीपों का जो हार वहन कर रखा था, उस भव्‍य नजारे को देख लाखों की संख्या में देश दुनिया के लोग आनंदित हो उठे। देव दीपावली पर कई घाटों पर बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किया गया।

पूरी दुनिया में बसे 1.75 करोड़ प्रवासियों के लिए देव दीपावली का नजारा यादगार बन गया है। 135 देशों में हुए लाइव प्रसारण में गंगा  पार रेती से लेकर मंदिर, मठ और कुंड, सरोवर भी दीपों की जगमगाहट धरती पर स्‍वर्ग का अहसास करा रही थी। बालू से बनी कलाकृतियां आयोजन में चार चांद लगा रही थी।

जैन घाट के सामने भगवान जैन की आकृति ,तुलसी घाट के सामने  विश्वप्रशिद्ध नागनथैया का कालिया नाग की आकृति और ललिता घाट के सामने मां अन्नपूर्णा देवी की आकृति के दर्शन भी प्रवासियों ने लाइव प्रसारण के जरिए किए।

देव दीपावली का महत्‍व

देव दीपावली के दिन माना जाता है कि सभी देवता बनारस के घाटों पर आते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था।

त्रिपुरासुर के वध के बाद सभी देवी-देवताओं ने मिलकर खुशी मनाई थी। काशी में देव दीपावली का अद्भुत संयोग माना जाता है। इस दिन दीपदान करने का पुण्य फलदायी व विशेष महत्व वाला होता है।

मान्‍यता है कि भगवान भोलेनाथ ने खुद धरती पर आकर तीन लोक से न्यारी काशी में देवताओं के साथ गंगा के घाट पर दिवाली मनाई थी। इसीलिए इस देव दीपावली का धार्मिक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है।

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