
Ansal API: बिना जमीन के बेच दिए 250 करोड़ की प्रॉपर्टी, CM योगी ने दिया तत्काल FIR का आर्डर…
Ansal API: हाईटेक सिटी का सपना दिखाकर हजारों निवेशकों की गाढ़ी कमाई लूटने वाले अंसल प्रॉपर्टी एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर (अंसल एपीआई) के दिवालिया घोषित होने पर सरकार हरकत में आई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरे मामले का संज्ञान लेते हुए सोमवार को आवास विभाग और लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारियों को तलब किया।
मुख्यमंत्री ने अंसल ग्रुप के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए। सीएम योगी ने कहा कि बायर्स के हित हर हाल में सुरक्षित होने चाहिए, इस मामले में दोषियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई होगी.
करीब 700 निवेशकों के 250 करोड़ रुपये दबाए बैठी अंसल कंपनी के चेयरमैन प्रणव अंसल ने सफाई दी है. सीएम योगी की ओर से FIR दर्ज करने का आदेश दिए जाने के बाद चेयरमैन की ओर से बयान जारी किया गया है.
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क्या है पूरा मामला
सीएम योगी ने कहा कि अंसल ग्रुप ने होम बायर्स के साथ धोखा किया है, जिसे सरकार बर्दाश्त नहीं करेगी. उन्होंने कंपनी के सभी जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ एक्शन लेने के निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि लखनऊ जैसे मामले जिन भी जिलों में अंसल ग्रुप के खिलाफ सामने आ रहे हैं, उन सभी जिलों में एफआईआर दर्ज कराई जाए. मुख्यमंत्री ने एलडीए और पीड़ित बायर्स की एक समिति तैयार करने के निर्देश भी दिए. इससे न्यायालय में अंसल के खिलाफ मजबूती से साक्ष्यों को प्रस्तुत किया जा सके. इससे न्यायालय द्वारा अंसल ग्रुप के लोगों को सजा दिलाने में आसानी होगी.
बिना जमीन के बेच दिए 250 करोड़ रुपये के भूखंड
दरअसल, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल यानी NCLT ने एपीआई अंसल कंपनी को दिवालिया घोषित कर दिया है. ऐसे में करीब 7000 निवेशकों के 250 करोड़ रुपये फंस गया है. आरोप है कि एपीआई अंसल ने बिना जमीन के ही सुशांत गोल्फ सिटी में ढाई सौ करोड़ रुपये के भूखंड बेच दिए. रिकॉर्ड के मुताबिक, 1967 में अंसल एपीआई नाम से रियल स्टेट कंपनी रजिस्टर्ड हुई थी. 2025 तक 7000 से ज्यादा निवेशकों ने इसमें रुपया लगाया. लखनऊ, दिल्ली एनसीआर समेत पांच राज्यों में अंसल एपीआई ने अपनी 21 से ज्यादा टाउनशिप बनाई हैं. अंसल API के खिलाफ रेरा में 400 से ज्यादा शिकायत दर्ज हैं.
वर्ष 2005 में सरकार ने दिया था लाइसेंस
एक सवाल के जवाब में उपाध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि अंसल को लाइसेंस एलडीए ने नहीं दिया है। वर्ष 2005 में हाईटेक टाउनशिप की नीति के तहत तत्कालीन सरकार ने लाइसेंस जारी किया था। इससे पहले सुबह सरोजनीनगर से भाजपा विधायक राजेश्वर सिंह ने अंसल आवासीय समिति के सदस्यों के साथ मुख्यमंत्री से मुलाकात की और अंसल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
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अंसल को घोषित किया गया है दिवालिया
अंसल एपीआई को पिछले माह एनसीएलटी ने दिवालिया घोषित कर दिया है। लखनऊ, नोएडा समेत अन्य स्थानों पर समूह की जमीनों और निवेश को संभालने के लिए अंतिरम समाधान पेशेवर (आइआरपी) को नियुक्त करने की प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया है। कम से कम तीन हजार निवेशकों का पैसा लखनऊ की अंसल की योजना में लगा है, काफी प्लाट का पैसा लिया गया, लेकिन उतनी जमीन ही उपलब्ध नहीं हैं। सरकारी जमीनों को भी बेचने का आरोप समूह पर है।
अफसरों पर होगी कार्रवाई
अंसल पर बीते पांच साल में एलडीए के किसी भी अफसर की नजर क्यों नहीं गई, इस पर भी बैठक में सवाल उठाए गए। आखिर कैसे एलडीए के अफसर रेरा का हवाला देकर मौन रहे। बीते वर्ष अंसल के सुशांत गोल्फ सिटी में लगातार एलडीए के अफसर लेआउट को भी मंजूरी देते रहे। आवंटियों की शिकायतों पर ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
एलडीए वीसी ने कहा कि उन अफसरों पर कार्रवाई की जाएगी, जो अंसल प्रॉजेक्ट में सीधे जुड़े रहे। हाईटेक टाउनशिप पॉलिसी से जुड़े आवास बंधु के अफसर भी जांच के दायरे में हैं। उन्होंने कहा कि अंसल की 411 एकड़ बंधक पड़ी जमीन की भी दोबारा पैमाइश की जाएगी। आशंका है कि बंधक जमीन का भी कुछ हिस्सा फर्जीवाड़ा कर बेच दिया गया। करीब 100 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री की सूचना है।
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