गजब! भैंस और बछड़े का कराया मुंडन संस्कार, दी सैकड़ों को दावत

गुन्नौर के किसान ने कराया भैंस और बछड़े का मुंडन संस्कार

गुन्नौर, संभल (उप्र)। सनातन धर्म के 16 संस्कारों में से एक चूड़ाकर्म या मुंडन संस्कार तो हम सभी जानते है।

हम यह भी जानते हैं कि बच्चे के जन्म के पहले, तीसरे या पांचवें वर्ष में इस संस्कार को करने का विधान बताया गया है।

अब बच्चे के मुंडन संस्कार के बजाय अगर यह आपको किसी भैंस के मुंडन संस्कार की जानकारी मिले तो क्या आप विश्वास करेंगे? लेकिन ऐसा ही एक चौंकाने वाला समारोह कराया है संभल के एक किसान ने।

गुन्नौर में किसान ने अपनी भैंस और बछड़े का मुंडन संस्कार गंगा घाट पर समारोह पूर्वक विधि विधान से कराया। इतना ही नहीं मुंडन के बाद करीब पांच सौ लोगों को दावत भी दी।

इसके लिए बीते कई दिनों से कार्ड भी बांटे जा रहे थे। इलाके में भैंस का यह मुंडन समारोह हर किसी की जुबान पर है।

गुन्नौर के नंदरौली निवासी किसान नेम सिंह ने बताया कि उसके घर में न जाने किसका श्राप लगा है कि भैंस के बछड़े पैदा होने के बाद मर जाते हैं।

काफी समय से वह इसे लेकर परेशान था। कुछ दिन पहले घर आये एक साधु से भी उसने अपनी परेशानी बांटी।

साधु ने कहा कि इस बार भैंस का बछड़ा पैदा होने पर भैंस और बछड़े का मुंडन संस्कार गंगा तट पर बच्चे की तरह कराने से बछड़े की मौत नहीं होगी।

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इसके बाद से ही नेम सिंह मुंडन समारोह की तैयारी में जुट गया। इसके लिए बाकायदा कार्ड छपवाए गए।

सभी रिश्तेदारों के साथ ही आसपास के गांवों में कार्ड बांटकर लोगों को सवेरे आठ बजे गंगा किनारे राजघाट पर मुंडन और 12 बजे दावत के लिए आमंत्रित किया गया।

लोग भैंस के मुंडन की दावत की बात सुनकर चौंके तो लेकिन मुंडन में करीब सौ लोग और दावत में पांच सौ से अधिक लोग पहुंचे। इन दिनों आसपास के इलाके में इसी समारोह और दावत की चर्चा है।

भैंस का मुंडन देखने जुटी भीड़

राजघाट गंगा तट पर सवेरे एक परिवार के साथ बड़ी संख्या में लोग भैंस और बछड़े के साथ पहुंचे तो लोग चौंक गए। जब लोगों को पता चला कि आज भैंस और बछड़े का मुंडन होना है तो लोगों की भीड़ जुट गई।

भैंस का मुंडन करने के लिए मोटी रकम देकर एक नाई को तैयार किया गया और फिर विधि विधान से मुंडन शुरू हुआ। इस दौरान परिवार की महिलाओं ने बच्चों के मुंडन के समय गाए जाने वाले गीत भी गाए।

नाई ने पहले भैंस और फिर उसके बछड़े का मुंडन किया। इसके बाद दोनों को गंगा में स्नान कराया गया। गंगा घाट पर मौजूद लोग इस नजारे को देखकर हैरत में दिखे।

राजघाट गंगा तट पर बच्चों का मुंडन कराने की पुरानी परम्परा है लेकिन यह पहला मौका था जब कोई अपने बच्चे का नहीं बल्कि भैंस और बछड़े का मुंडन करा रहा था।

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