विवाह-पाबंदी एक अवसर, पाबंदियों में सबसे बेहतर करने का मैं हुनर रखता हूँ

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लेखक- सपन मिश्रा विवाह विशेषज्ञ-लखनऊ

लखनऊ। विवाह एक ऐसा शब्द है जिसे पढ़कर, सुनकर ही हमारा मन प्रसन्ता से भर जाता  है। ये एक ऐसा सामाजिक दायित्व है जिसका निर्वहन परिवार और समाज सभी बड़े उल्लास के साथ करते है।

जब एक लड़का या लड़की पैदा होती है, तभी से माता पिता सपने देखने लगते है की मैं अपने बच्चे के लिए ऐसी बहु लाऊंगी वैसा वर ढूंढूंगी, ऐसा मंडप सजेगा, ऐसे वरमाला होगी, न जाने पल भर में खुद से क्या क्या तय कर लेते है। जिस प्रकार आज के हालात है, मैं स्वयं इसमें एक अवसर देखता हूँ।

बहुत से घरो में शादी होने वाली थी और कोरोना ने सब कुछ अस्त-व्यस्त कर दिया और हम सब हताश हो गए और ये भूल गए की इसमें भी एक अवसर छिपा हुआ है, जब बच्चे हमारे, परिवार हमारा, रिश्तेदार हमारे तो फिर विलम्ब क्यों करे? आइये इस समय को भी एक अवसर दे।

25-30  लोगो में शादी करना बड़ा अटपटा सा लगता है, लेकिन हम अगर अपना ध्यान बदल केर देखे तो ये एक अवसर देता है, अपने सपनो और अरमानो को पूरा करने का।

विवाह होता तो दो लोगो के बीच ही है न, जिसके साक्षी माता-पिता  सगे परिवार के लोग और पांच-तत्त्व ही होते है। तो फिर हम बहुत सारे लोगो को क्यों बुलाना चाहते है? शायद इसीलिए कि ये परंपरा सदियों से चली आ रही है, या ये कहे कि सामाजिक दिखावे ने विवाहउत्सव का स्वरुप ही बदल दिया है।

एक बाप दिन रात मेहनत करके एक-एक पाई जोड़ता है इस दिन के लिए, आप यहाँ खुद सोचिये कि होता क्या है? जिन लोगो को आप विनती करके बुलाते है, उन्ही में से कुछ आपके किये कराये पर पानी फेर देते है।

किसी को भोजन, तो किसी को सजावट, किसी को कुछ तो किसी को कुछ। कुछ ना कुछ ढून्ढ ही लेते है और ये सिलसिला चलता रहेगा जब तक आप चलाएंगे।

कैसे करे शादी फिर?  आप अपने कार्यक्रम को खुद से यादगार बनाने के प्रति सोचिये बच्चो के सपनो को पूरा कीजिये, जो आपने लिस्ट बनाते वक़्त किसी अभाव में काट दिया था।

अवसर ऐसा है कि आप वो सबकुछ कीजिये जो आप नहीं कर पाते जैसे पांच सितारा होटल, सजावट, कपडे इत्यादि।  ताकि आपको और आपके बच्चो को ये न लगे कि हमने बहुत कुछ ऐसे ही गंवा दिया।

आखिर में हम पांच साल सिर्फ तस्वीरो में याद करेंगे वो लम्हे, जैसे होटल, भोजन, सजावट। शायद मेजबानी के चक्कर में आप एडवांस्ड फोटोग्राफी और फिल्मोग्राफी भूल जाते, अच्छे खाने का लुत्फ़ भी नहीं उठा पाते, शायद फाइव स्टार का सपना अधूरा ही रह जाता।

आप आज के समय में बहुत कुछ केर सकते है जो कि आपके हाथ में है, अत: खुद के लिए कीजिये और अपने बच्चो से समाज हित का काम बाद में भी करवा सकते है, फिलहाल खुद के और बच्चो के लिए सोचिये। यही समय है, कुछ नहीं बिगड़ा है।

हमे समाज को नहीं स्वयं को देखना है, बच्चे हमारे है और यही समय है। जय हिन्द।

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