VVPAT वेरिफिकेशन पर सुप्रीम कोर्ट ने EC से माँगा जवाब, सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित

सुप्रीम कोर्ट ने आज चुनाव आयोग से कुछ तकनीकी स्पष्टीकरण के बाद 100 फीसदी ईवीएम-वीवीपीएटी (EVM-VVPAT ) वेरिफिकेशन पर फैसला सुरक्षित रख लिया।

इमेज क्रेडिट: सोशल मीडिया

सुप्रीम कोर्ट ने VVPAT को लेकर बुधवार को हुई सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि हम संदेह के आधार पर आदेश जारी नहीं कर सकते हैं. अदालत चुनाव की नियंत्रण अथॉरिटी नहीं है. आपको बता दें कि अदालत ने EVM के मुद्दे पर दो दखल दिया है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि हमारे कुछ सवाल थे. जिनके जवाब दे दिए गए हैं. अभी हमने फैसला सुरक्षित रखा है. कोर्ट ने VVPAT को लेकर कहा कि अभी तक गड़बड़ी की एक भी रिपोर्ट सामने नहीं आई है. हम साथ में ये भी देख रहे हैं कि क्या ज्यादा VVPAT के मिलान का आदेश दिया जा सकता है.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने आज चुनाव आयोग ने मतदान के लिए इस्तेमाल होने वाली वोटिंग मशीन और इसके बाद वोटिंग की पुष्टि करने के लिए दी जाने वाली VVPAT स्लिप को लेकर सुनवाई कर रही है और इसकी तकनीकी जानकारी को समझने के लिए चुनाव आयोग को तलब किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछे ये सवाल
कोर्ट ने चुनाव आयोग से कई सवाल पूछे।
पहला– माइक्रोकंट्रोलर कहां लगा होता है, कंट्रोलिंग यूनिट या VVPAT में?
दूसरा– माइक्रोकंट्रोलर को केवल एक बार प्रोग्राम किया जा सकता है?
तीसरा– आयोग के पास कितनी सिंबल लोडिंग यूनिट हैं?
चौथा– क्या कंट्रोल यूनिट के साथ VVPAT भी सील की जाती है?
पांचवा– चुनाव याचिका दायर करने की सीमा 45 दिन की है और डाटा भी 45 दिन के लिए सुरक्षित रखा जाता है। डाटा स्टोर की सीमा बढ़ाई जानी चाहिए?

कोर्ट के सवालों पर चुनाव आयोग ने क्या कहा?

  • एक वोटिंग यूनिट में एक बैलट यूनिट,कंट्रोल यूनिट और एक VVPAT यूनिट होती है। सभी यूनिट में अपना अपना माइक्रो कंट्रोलर होता है।इन कंट्रोलर से छेड़छाड़ नहीं हो सकती
  • सभी माइक्रो कंट्रोलर में सिर्फ एक ही बार प्रोग्राम फीड किया जा सकता है
  • चुनाव चिन्ह अपलोड करने के लिए हमारे पास दो मैन्युफैक्चर है- एक ECI दूसरा भारत इलेक्ट्रॉनिक्स
  • सभी मशीन 45 दिन तक स्ट्रांग रूम में सुरक्षित रखी जाती है। उसके बाद रजिस्ट्रार, इलेक्शन से इस बात की पुष्टि की जाती है कि क्या चुनाव को लेकर कोई याचिका तो दायर नहीं हुई है ! अगर अर्जी नहीं दायर होती है तो स्ट्रांग रूम को खोला जाता। वही कोई याचिका दायर होने की सूरत में रूम को सीलबन्द रखा जाता है

सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि इसलिए हमने चुनाव आयोग से भी यही सवाल पूछा था. आयोग का कहना है कि फ्लैश मेमोरी में कोई दूसरा प्रोग्राम फीड नहीं किया जा सकता. उनका कहना है कि वो फ़्लैश मेमोरी में कोई प्रोगाम अपलोड नहीं करते, बल्कि चुनाव चिन्ह अपलोड करते है, जो कि इमेज की शक्ल में होता है. हमे तकनीकी चीजों पर आयोग पर यकीन करना ही होगा.

इसपर ADR के वकील प्रशांत भूषण ने दलील दी कि वो चुनाव चिन्ह के साथ साथ कोई ग़लत प्रोगाम तो अपलोड कर सकते हैं. मेरा अंदेशा उस बात को लेकर है. फिर कोर्ट ने कहा कि हम आपकी दलील को समझ गए. हम फैसले में इसका ध्यान रखेंगे.

क्या हैं मौजूदा चुनाव में EVM को लेकर नियम
मौजूदा समय में चुनाव आयोग एक संसदीय क्षेत्र में हर विधानसभा क्षेत्र के पांच मतदान केंद्रों से EVM की VVPAT पर्चियों का रैंडमली वेरिफिकेशन करता है। चुनाव आयोग पहले 2 2019 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित एक निर्देश के संदर्भ में है, जिसने ECI को प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक मतदान केंद्र से बढ़ाकर 5 मतदान केंद्रों तक वेरिफिकेशन बढ़ाने का निर्देश दिया था।

बता दें कि 2019 में करीब 21 विपक्षी दलों ने कुल EVM में से कम से कम 50 फीसदी VVPAT वेरिफिकेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। उस समय केवल एक EVM का VVPAT स्लिप से मिलान किया जाता था। 8 अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने यह संख्या 1 से बढ़ाकर 5 कर दी।

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