Hariyana Election: शैलजा की नारजगी कांग्रेस को पड़ सकती है भारी…लुभाने में जुटी पार्टियां

Haryana Assembly Election 2024: कांग्रेस की दिग्गज नेता और लोकसभा सांसद कुमारी शैलजा की हरियाणा विधानसभा चुनाव प्रचार से बढ़ती दुरी से सियासत गरमा गई है। कांग्रेस हाईकमान और भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने जहां सैलजा को लेकर खामोशी इख्तियार कर रखी है वहीँ उन्होंने अपनी चुप्पी तोड़ दी है। कुमारी सैलजा कांग्रेस से अपनी नाराजगी से जुड़े सवालों का भी खुलकर जवाब दिया और बीजेपी के ऑफर पर भी प्रतिक्रिया दी. हरियाणा में कांग्रेस का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? इस पर शैलजा ने कहा कि यह कांग्रेस हाईकमान तय करेगा.

गौरतलब है कि कांग्रेस की दिग्गज नेता और पार्टी की दलित चेहरा माने जाने वाली कुमारी सैलजा 12 सितंबर से साइलेंट मोड में है. विधानसभा चुनाव प्रचार में अभी तक नहीं उतरी है, जिसे विपक्षी दल कांग्रेस के खिलाफ चुनाव में सियासी हथियार बनाने में जुटे हैं. बसपा और बीजेपी की तरफ से सैलजा को ऑफर पर ऑफर देकर चुनावी एजेंडा सेट किए जाने लगे हैं. अब बसपा प्रमुख मायावती ने कुमारी सैलजा के बहाने दलित नेताओं और अपने समुदाय को साधने का बड़ा सियासी दांव चला है. ऐसे में देखना है कि चुनाव में किसे नफा और किसे नुकसान पहुंचता है?

सैलजा को लेकर बीजेपी के बदलें बोल
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कुमारी सैलजा को लेकर कहा कि कांग्रेस की परंपरा ही दलितों का अपमान करने की है. बीजेपी किसी भी नेता का अपमान बर्दाश्त नहीं करती, न ही अपशब्दों के प्रयोग को बढ़ावा देती है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके समर्थकों ने कुमारी सैलजा का अपमान किया है, उसे जनता कभी नहीं भूलेगी, कांग्रेस को खामियाजा भुगतना पड़ेगा. इसी तरह बीजेपी के सभी नेता सैलजा को लेकर बोल रहे हैं.

सैलजा के लिए खुले BSP के दरवाजे
वहीं, आकाश आनंद से लेकर बसपा प्रमुख मायावती भी कुमारी सैलजा के बहाने दलित समुदाय को साधने का दांव चल रहे हैं. आकाश ने कहा कि कुमारी सैलजा के लिए बसपा के दरवाजे हमेशा के लिए खुले हैं. कांग्रेस दलित नेताओं को सम्मान नहीं करती है. अब मायावती ने भी कुमारी सैलजा को नसीहत देते हुए कांग्रेस पर जोरदार हमला बोला है. उन्होंने कहा कि देश में अभी तक के हुए राजनीतिक घटनाक्रमों से यह साबित होता है कि कांग्रेस और अन्य जातिवादी पार्टियां दलित समाज के नेताओं और वोट को बुरे वक्त में सिर्फ इस्तेमाल करती हैं और फिर उन्हें दरकिनार कर देती हैं. दलित नेताओं को अपने मसीहा डा.अंबेडकर से प्रेरणा लेकर खुद ही ऐसी पार्टियों से अलग हो जाना चाहिए. साथ ही समाज को दूर रखना चाहिए.

शैलजा की रगों में कांग्रेस का खून
इन सब के बीच खबर आ रही है कि आप 25 सितंबर को बीजेपी ज्वॉइन कर रही हैं इसमें कितनी सच्चाई है? इस पर शैलजा ने कहा, ‘ये खबर कहां से निकली निकली है, ना तो कभी शैलजा ऐसा सोच सकती है, शैलजा की रगों में कांग्रेस का खून है.मैंने पहले भी कहा कि जैसे मेरे पिताजी कांग्रेस के तिरंगे में लिपटकर गए थे, वैसे ही शैलजा भी कांग्रेस के तिरंगे में लिपटकर जाएगी. मेरा मेरी पार्टी, मेरे नेता के प्रति कमिटमेंट है.’

हरियाणा का जातीय समीकरण
हरियाणा में दलित समुदाय में सबसे बड़ा प्रभाव रविदास का है, जो दलित समाज में 50 फीसदी से भी ज्यादा हैं. रविदासी के अलावा बाल्मिकी और अन्य दूसरे दलित समुदाय हैं. रविदासी दलित पूरी तरह से कांग्रेस के साथ हैं. अन्य दलित समुदाय अलग-अलग दलों के साथ बिखरे हुए हैं. ऐसे में हरियाणा की राजनीति पर रविदासी समुदाय का दबदबा है. हरियाणा की बीजेपी सरकार ने दलित आरक्षण को दो हिस्सों में बांट दिया है, जिसमें 10% रविदासी और 10% गैर-रविदासी दलित जातियों को दिया है. गैर-रविदासी जातियों में 36 जातियां दलितों की आती हैं. सैलजा भी इसी वंचित जाति से आती हैं.

कुमारी सैलजा ऐसे ही कांग्रेस के चुनाव प्रचार से दूरी बनाए रखती हैं तो बीजेपी को इससे डबल फायदा हो सकता है. बीजेपी हरियाणा में जाट बनाम दलित का दांव चल सकती है. इस तरह कांग्रेस के साथ लोकसभा चुनाव में गया दलित वोट का लाभ उसे कुछ मिल सकता है. इसी तरह बसपा अपने कोर वोटबैंक को अपने पाले में लाने की कवायद में है, जिसके चलते ही आकाश आनंद से लेकर मायावती तक कुमारी सैलजा का मुद्दा बना रही है. इस तरह दलित वोटों को साधने का सियासी दांव चल रहे हैं, लेकिन इस शह-मात के खेल में अब नतीजे ही बताएंगे किसे सियासी नफा और किसे सियासी नुकसान होता है?

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