सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, बाल विवाह पर सख्त गाइडलाइन का आदेश

Child Marriage Case: एनजीओ की ओर से दायर याचिका में आरोप लगाया है कि राज्यों के स्तर पर बाल विवाह निषेध अधिनियम का सही तरह से अमल नहीं हो पा रहा है, जिसके चलते बाल विवाह के मामले बढ़ रहे हैं।

Child Marriage Case: हमने और आपने अपने जीवन या घर के आसपास छोटे बच्‍चों की शादी होते हुए देखी ही होगी। कानून यह अपराध है लेकिन इसके बावजूद भी धडल्‍ले स यह लगभग देश के सभी हिस्‍सों में जारी है। अब चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ (Justice Dy Chandrachud) की अध्‍यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने बाल विवाह निषेध अधिनियम (Supreme Court on Child Marriage Prevention Act) को लेकर एक अहम फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि बाल विवाह निषेध अधिनियम में पर्सनल लॉ के जरिए अड़ंगा नहीं लगाया जा सकता।

बाल विवाह पर SC की गाइडलाइन

सुप्रीम कोर्ट ने बाल विवाह पर गाइडलाइन जारी करते हुए कहा, ‘माता-पिता द्वारा अपनी नाबालिग बेटियों या बेटों की बालिग होने के बाद शादी कराने के लिए सगाई करना नाबालिगों की जीवन साथी चुनने की स्वतंत्र इच्छा का उल्लंघन है।’ देश भर में बाल विवाह पर रोक से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ये  फैसला सुनाया है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि राज्यों से बातचीत कर ये बताये कि बाल विवाह पर रोक लगाने के कानून पर प्रभावी अमल के लिए उसकी ओर से क्या कदम उठाए गए हैं?

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने इस पर आदेश देते हुए कहा है-

  • बाल विवाह रोकने से जुड़े सभी विभागों के लोगों के लिए विशेष ट्रेनिंग की जरूरत है
  • हर समुदाय के लोगों के लिए अलग तरीके अपनाए जाने चाहिए
  • सजा देने से सफलता नहीं मिलती
  • समाज की स्थिति को समझ कर रणनीति बनाएं
  • लोगों में जागरूकता फैलाने का प्रयास हो
  • बाल विवाह निषेध कानून को पर्सनल लॉ से ऊपर रखने का मसला संसदीय कमिटी के पास लंबित है. इसलिए कोर्ट उस पर टिप्पणी नहीं कर रहा
  • लेकिन यह सच है कि कम उम्र में शादी लोगों को अपने पसंद का जीवनसाथी चुनने के अधिकार से वंचित कर देती है

सुप्रीम कोर्ट ने सोसाइटी फॉर इनलाइटेनमेंट एंड वॉलंटरी एक्शन नाम के एनजीओ की याचिका पर फैसला देते हुए बाल विवाह पर नियंत्रण को लेकर कई निर्देश दिए हैं. इस याचिका में कहा गया था कि बाल विवाह पर रोक के बावजूद आज भी देश में यह जारी है. हर साल 18 साल से कम उम्र की लाखों लड़कियों की शादी होती है. 10 साल से भी कम उम्र में शादी के मामले बहुत बड़ी संख्या में हैं. इसका सबसे बड़ा कारण राज्य सरकारों की लापरवाही है.

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