न्यू लेडी जस्टिस स्टैच्यू पर बार SC बार एसोसिएशन ने उठाये सवाल, बदलाव पर जताई आपत्ति

New Lady Justice Statue: न्याय की देवी वाली पुरानी मूर्ति पर किए गए बदलाव पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने आपत्ति जाहिर की। एससीबीए के अध्यक्ष कपिल सिब्बल की अध्यक्षता में कार्यकारी समिति ने सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़ के नेतृत्व में शीर्ष अदालत प्रशासन की तरफ से किए गए ‘एकतरफा’ बदलावों पर नाराजगी जाहिर की है। बार एसोसिएशन का कहना है कि प्रतिमा में बदलाव किए जाने से पहले हमारे सदस्यों से किसी भी तरह का परामर्श नहीं किया गया।

बार ऐंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने 22 अक्टूबर को पारित अपने प्रस्ताव में कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट बार असोसिएशन की कार्यकारी समिति ने देखा है कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से एकतरफा रूप से कुछ आमूलचूल बदलाव किए गए हैं जैसे इसके प्रतीक चिह्न को बदलना, बार के साथ परामर्श के बिना न्याय की देवी की प्रतिमा को बदलना।

हम न्याय के प्रशासन में समान हितधारक हैं, लेकिन जब इन परिवर्तनों का प्रस्ताव रखा गया था, तो उन्हें कभी भी हमारे ध्यान में नहीं लाया गया था। हम इन बदलावों के पीछे के औचित्य से पूरी तरह अनजान हैं।’ बार बॉडी ने कहा कि वह इन बदलावों के पीछे के तर्क को लेकर ‘अनजान’ है।

आंखों पर बंधी पट्टी का क्या मतलब था?
परंपरागत रूप से, आंखों पर बंधी पट्टी का मतलब कानून की समानता थी। इसका मतलब था कि अदालतें बिना किसी भेदभाव के फैसला सुनाती हैं। वहीं, तलवार अधिकार और अन्याय को दंडित करने की शक्ति का प्रतीक थी।

‘कानून अंधा नहीं है’
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के कहने पर नई मूर्ति लगी है। उसकी आंखों में पट्टी नहीं है। प्रधान न्यायाधीश मानते हैं कि कानून अंधा नहीं है बल्कि कानून सभी को समान मानता है। न्याय की देवी के हाथ से तलवार हटाने का भी संकेत शायद औपनिवेशिक काल की चीजों को छोड़ना है।

तिलक मार्ग में लगी वीडियो वॉल
इसके अलावा, एक और बड़ा बदलाव हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के सामने तिलक मार्ग पर एक बड़ी वीडियो वॉल लग गई है जिसमें हर समय सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस क्लॉक चलती है जिससे सुप्रीम कोर्ट में मुकदमों की रियल टाइम जानकारी जानी जा सकती है। जस्टिस क्लॉक सुप्रीम कोर्ट के दूसरी ओर मथुरा रोड पर भी लगाए जाने का प्रस्ताव है और हो सकता है कि दीपावली की छुट्टियों में वहां भी एक सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस क्लॉक लग जाए।

बदलाव करते वक्त नहीं ली गई हमसे सलाह
एससीबीए की कार्यकारी समिति के सदस्यों ने प्रस्ताव में कहा है कि न्याय प्रशासन में हम समान हितधारक हैं, लेकिन बदलावों को लेकर हमें नहीं बताया गया. न ही इन बदलावों के पीछे के तर्क बताए गए. उन्होंने स्टैच्यू में बदलाव को रेडिकल बताते हुए कहा है कि इसे करने से पहले उनसे सलाह ली जानी चाहिए थी. इसको एकतरफा नहीं किया जाना चाहिए था. एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट भवन में जजेज लाइब्रेरी को म्यूजियम में बदले जाने पर भी आपत्ति जाहिर की.

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