Lalu Yadav के वीडियो पर बिहार में बवाल, BJP बोली- ‘बाबा साहेब का अपमान शर्मनाक’

Lalu Yadav Dr Ambedkar Controversy: लालू यादव के 78वें जन्मदिन पर बाबा साहब अंबेडकर की तस्वीर पैरों के पास रखने पर विवाद और बढ़ता जा रहा है. विपक्षी दलों ने इसे डॉ. अंबेडकर का अपमान बताया है.

Lalu Yadav Dr Ambedkar Controversy: राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के जन्मदिन के एक कथित वीडियो पर बिहार में राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। लालू प्रसाद कुर्सी पर बैठे हुए थे और कुछ नेता बाबा साहेब अंबेडकर की तस्वीर को उनके पैरों के पास लेकर खड़े थे। भारतीय जनता पार्टी इसे बाबा साहेब का अपमान बता रही है और माफी की मांग कर रही है।

बीजेपी ने लालू प्रसाद यादव पर बोला हमला

बिहार बीजेपी के नेता और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की और इस घटनाक्रम को लेकर लालू प्रसाद यादव पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि लालू यादव के जन्मदिन के दिन जिस तरह बाबा साहेब का अपमान हुआ, इससे ज्यादा लोकतंत्र में शर्मसार करने वाली घटना नहीं हो सकती है। लालू प्रसाद ने बाबा साहेब का जिस तरह अपमान किया, उसके लिए माफी मांगनी चाहिए।

सम्राट चौधरी ने कहा, “चरित्र दिखाता है कि ये लोग लोकतंत्र के राजा के तौर पर अपने आप को पेश करते हैं। किसी भी व्यक्ति का सम्मान नहीं करना, सभी को अपमानित करना ये लालू प्रसाद के डीएनए में है। पिछड़ों, अति पिछड़ों और दलित समाज को सब दिन अपमानित करने का काम जिस व्यक्ति ने किया, वो बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने किया।”

प्रेस कॉन्फ्रेंस में लालू प्रसाद यादव का वीडियो दिखाते हुए सम्राट चौधरी ने कहा, “ये स्पष्ट तौर पर दिखाता है कि लालू प्रसाद के जीवन में किसी के लिए सम्मान नहीं है। ये लोग बाबा साहेब की कोई इज्जत नहीं करते हैं। आज तक उन्होंने किसी नेता, कार्यकर्ता और किसी बिहारी का कोई सम्मान नहीं किया। बिहार में जितने भी बड़े नेता हों, यदि किसी ने अपमानित करने का काम किया है तो उसका नाम सिर्फ और सिर्फ लालू प्रसाद है।”बीजेपी नेता ने आरोप लगाए, “लालू प्रसाद पिछड़ों, अति पिछड़ों को दबाना चाहते हैं। गुंडागर्दी के बल पर सत्ता को अर्जित करना चाहते हैं।”

दलित वोटरों को प्रभावित कर सकता है मुद्दा

बता दें कि डॉ बाबा साहब अंबेडकर के अपमान से जुड़ा यह विवाद बिहार विधानसभा चुनाव से पहले दलित वोटरों को प्रभावित कर सकता है, जो करीब 16% हैं. मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और BJP इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश में हैं, जबकि RJD इसे सामाजिक न्याय के अपने एजेंडे से काटने की रणनीति बना रही है. इस घटना ने बिहार की सियासत में नया तूफान खड़ा कर दिया है.

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