Medical Crime: डॉक्टर बना मौत का शौदागर, मरीजो की जान का व्यापार
सैफई मेडिकल कॉलेज के एक डॉक्टर को विदेश की ऐसी हवा लगी कि वो गरीब मरीजों की जान से खेलने लगा। आरोपी डॉक्टर पर मरीजों को घटिया स्तर का पेसमेकर लगाने और उनसे तय कीमत से अधिक कीमत वसूलने का आरोप है जिसके कारण अब तक 200 मरीजों की मरने की पुष्टि हुई है।

डॉक्टर ईश्वर का दूसरा रूप कहे जाते हैं. लेकिन यही डॉक्टर, जब अपने फायदे के लिए मरीजों की जान का सौदा करने लगें तो वो एक अपराधी बन जाते हैं. आज एक ऐसे ही डॉक्टर की कहानी, जिसने पैसों के लालच में 600 से ज्यादा दिल के मरीजों को नकली पेसमेकर लगा दिया. नतीजतन, कई मरीजों की तबीयत बिगड़ गई. इनमें से अबतक 200 मरीजों की मौत हो चुकी है. हालांकि, अब यह डॉक्टर सलाखों के पीछे है. यह मामला उत्तर प्रदेश के सैफई का है.
कई गुना अधिक कीमत वसूली
इटावा के सैफई मेडिकल कॉलेज के कार्डियोलॉजी विभाग में कार्यरत डॉक्टर समीर सर्राफ ने एसजीपीजीआई की तय कीमत से ज्यादा रेट पर मरीजों को नकली पेसमेकर लगाया था। मरीज के परिजनों की शिकायत के बाद सैफई मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने एक जांच कमेटी गठित की थी। जांच में शिकायत सही मिली। जांच कमेटी को तय कीमत से 9 गुना अधिक कीमत वसूलने की बात सामने आई। साथ ही नकली पेसमेकर की भी पुष्टि हुई। इसके बाद एक्सपर्ट की राज्य स्तरीय एक बड़ी जांच टीम का गठन किया गया। साथ ही सैफई मेडिकल कॉलेज के तल्कालीन कुलसचिव सुरेश चंद शर्मा ने तत्कालीन चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर डॉक्टर आदेश कुमार को पत्र लिखा था, जिसमें गया था कि यह मामला अस्पताल से जुड़ा हुआ है।
सामान उपलब्ध होने के बावजूद करोड़ों की खरीदारी
तब तत्कालीन चिकित्सा अधीक्षक ने पुलिस को 24 दिसंबर 2022 को स्पीड पोस्ट से पत्र भेजा था, जिसकी जांच तत्कालीन पीजीआई पुलिस चौकी प्रभारी उपनिरीक्षक के.के. यादव के द्वारा करने के बाद मामला दर्ज किया था. इसमें आरोप था कि सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के कैथ लैब का एक से डेढ़ साल का सामान उपलब्ध होने के बावजूद यहा तैनात डॉ. समीर सर्राफ एवं संलिप्त अन्य लोगों ने वर्ष 2019 में करीब एक करोड़ मूल्य की अनावश्यक चीजें खरीदीं. इसमें लाखों रुपये की धांधली हुई. सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कई स्तर पर जांच के बाद इस धांधली की पुष्टि के बाद पेमेंट भी रोका था.
फरवरी 2022 में दर्ज हुआ था केस
समीर सर्राफ अपने चेंबर में मरीज के तीमारदार्रो से अवैध धन उगाई किया करते थे जिसका वीडियो वायरल हुआ था. 8 फरवरी 2022 को तत्कालीन चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर डॉक्टर आदेश कुमार ने सैफई थाने में विश्वविद्यालय के कार्डियोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ समीर सरार्फ व अन्य पर वित्तीय अनियमितता, पीड़ित मरीजों को वित्तीय हानि पहुंचाने और मरीजों की जान खतरे में डालने के आरोप में मामला दर्ज कराया था.
पेसमेकर की पहचान
ऐमआरआई पेसमेकर और नॉन ऐमआरआई पेसमेकर दो तरह के होते हैं, जो मरीजों के दिल की धड़कन को बढ़ाने के लिये प्रत्यारोपित किये जाते है लेकिन समीर सर्राफ ने मरीजों के दिलों की धड़कनों को सेफ करने के लिये एमआरआई पेसमेकर का स्टीकर लगाकर घटिया क्वालिटी के नॉन एमआईआर पेसमेकर लगाकर लाखों के व्यारे न्यारे कर लिये और मरीजों को उनकी जान बचाने के लाले पड़ गये.
डॉ समीर सरार्फ नें जांच करने वाले डॉक्टर के खिलाफ कराया था मुकदमा दर्ज
डॉक्टर समीर सरार्फ नें सीबीटीएस विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर अमित सिंह के द्वारा तीन बार जांच करने पर डॉक्टर समीर को दोषी किया गया था जिस पर डॉक्टर समीर सरार्फ ने 156/3 न्यायालय के आदेश पर सैफई थाने में डॉक्टर अमित सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था.
महीनों बंद रहे कार्डियोलॉजी ओपीडी
कार्डियोलॉजी डिपार्मेंट डॉक्टर समीर सरार्फ निलंबित होने के बाद, सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी की ओपीडी 17 माह तक बंद रही थी. यहां आने वाले दिल के मरीजों को इलाज न मिलने के कारण कानपुर और लखनऊ जाने को बेहोश होना पड़ रहा था.