क्रिकेटरों को मानसिक थकान दे रहा है बायो बबल: विराट कोहली
विराट कोहली ने मानसिक फिटनेस को बताया बर्हद जरूरी
आबूधाबी। आईपीएल में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) व भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली ने कहा कि लगातार बायो बबल में रहने से क्रिकेटरों को मानसिक थकान हो सकती है और इसका ध्यान रखने की जरूरत है।
विराट ने रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के एक चैनल से बात करते हुए कहा, ‘यह लगातार हो रहा है। हमारे पास बेहतरीन टीम है तो यह उतना कठिन नहीं लग रहा है।
बायो बबल में रह रहे सभी लोग शानदार है, माहौल अच्छा है। यही वजह है कि खेलने का और बायो बबल में साथ रहने का मजा ले रहे हैं लेकिन लगातार ऐसा होने से यह कठिन हो जाता है।’
टीम इंडिया के कप्तान ने आगे कहा, ‘मानसिक थकान पर भी ध्यान देना होगा। टूर्नामेंट या दौरा कितना लंबा है और खिलाड़ियों पर मानसिक रूप से इसका क्या असर पड़ेगा वगैरह।
एक जैसे माहौल में 80 दिन तक रहना और दूसरा कुछ नहीं करना या बीच में परिवार से मिलने की अनुमति होना। इन चीजों पर गंभीरता से विचार करना होगा।
आखिर में तो आप चाहते हैं कि खिलाड़ी मानसिक रूप से पूरी तरह फिट रहें तो इस बात की बातचीत नियमित तौर पर होनी चाहिए।’
आईपीएल के समाप्त होने के बाद टीम इंडिया को ऑस्ट्रेलिया का दौरा करना है, टीम का यह दौरा काफी लंबा होने वाला है। इसके बाद, टीम इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज खेलेगी, वो भी बायो बबल में ही होगी।
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ऑस्ट्रेलिया के डेविड वॉर्नर और स्टीव स्मिथ भी बायो बबल से हो रही मानसिक थकान के कारण बिग बैश लीग खेलने से इनकार कर चुके हैं।
बता दें कि कोहली की टीम का प्रदर्शन आईपीएल के इस सीजन में काफी शानदार रहा है, टीम प्लेऑफ में अपनी जगह बनाने में कामयाब रही है।
आईपीएल खत्म होने के तुरंत बाद कोहली टीम इंडिया के साथ ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए रवाना होंगे, जहां टेस्ट, वनडे और टी20 सीरीज खेलनी है।
क्या है बायो बबल
बेहद साधारण यानी बोल चाल की भाषा में कहें तो यह एक ऐसा वातावरण है, जिससे बाहरी दुनिया में रहने वालों का कोई संपर्क नहीं होता।
इसमें रखे जाने वाले लोग बाहर की दुनिया से पूरी तरह से कट जाते है। इंडियन प्रीमियर लीग 2020 में भाग लेने वाले सभी खिलाड़ी, कोचिंग और सपोर्ट स्टाफ, मैच ऑफिशियल, होटल स्टाफ का कोरोना टेस्ट कराया गया, इसके बाद सभी को बायो बबल में प्रवेश दिया गया।
एक बार इसमें जाने के बाद किसी को, यहां तक कि कोरोना टेस्ट करने वाली मेडिकल टीम को भी इसके बाहर जाने की अनुमति नहीं होती।
इस घेरे में वही लोग होते हैं जो कोरोना टेस्ट के गुजरें हों और पूरी तरह से संक्रमण से दूर हों। इस घेरे में रहने वाले लोग बाहरी दुनिया के कट जाते हैं।
यानी एक ऐसा घेरा जिसमें सिर्फ वही लोग रहते हैं जिनको जांच के बाद यहां रहने की अनुमति हासिल करते हैं।