Lok sabha Election: लखनऊ में कद्दावर प्रत्याशियों से राजनाथ सिंह की घेराबंदी; जीत की राह कठिन..

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 1996 से सपा, कांग्रेस सहित अन्य पार्टियां लखनऊ में कोई न कोई बाहरी नामचीन चेहरा उतार रही हैं। ऐसा पहली बार देखा गया है कि विपक्ष इस सीट पर भाजपा को कड़ी टक्कर देता हुआ नजर आ रहा है।

इमेज क्रेडिट-सोकिल मीडिया

Lok sabha Election: लखनऊ तहजीब के साथ सियासत का ऐसा शहर है, जहां से होकर दिल्ली के दरवाजे खुलते हैं। ऐसे में सभी पार्टियां उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ पर कब्जा जमाना चाहती हैं। यही वजह है कि बीते तीन दशकों से सपा, बसपा और कांग्रेस सहित प्रमुख विपक्षी दलों ने किसी बाहरी नामचीन या फिर बॉलीवुड के सितारों पर दांव लगाया है। ताकि जीत दर्ज कर सके बावजूद इसके उन्हें सफलता हासिल नहीं हुयी. ऐसे में पहली बार देखा गया है कि सभी विपक्षी दल क्षेत्रीय प्रत्याशी पर दाव लगा रहे है.

इस बार गठबंधन के तहत सपा ने लखनऊ मध्य के विधायक एवं पार्टी के कद्दावर नेता रविदास मेहरोत्रा और बसपा ने लखनऊ उत्तरी से विधानसभा का चुनाव लड़ चुके सरवर अली को मैदान में उतारकर चुनाव को रोमांचक बना दिया है। जीत का ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो मतगणना के बाद ही पता चलेगा, लेकिन चर्चा है कि कई साल बाद विपक्ष ने भाजपा को घेरने की मजबूत घेराबंदी की है।

आंकड़ों पर गौर करे तो लखनऊ संसदीय क्षेत्र से 1991 से लेकर 2019 तक लगातार भाजपा जीतती आ रही है। यदि 1996 के आम चुनाव से लेकर अब तक की बात करें तो यहां से सपा, कांग्रेस, आप या फिर बसपा की ओर से कोई न कोई बाहरी नामचीन चेहरा या फिर किसी बॉलीवुड के सितारे को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा जाता रहा है।

स्थानीय मुद्दों का महत्व:
लोकसभा चुनाव देश के मुद्दे पर लड़ा जाता है, लेकिन स्थानीय मुद्दों का भी महत्व होता है। आशियाना के रहने वाले अंकित कुमार, सुजीत सिंह का कहना है कि 2014 के बाद 2019 में विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ा गया था। लेकिन लखनऊ का मुद्दा था रोजाना का लगने वाला जाम, सुरक्षा, सड़क, बिजली पानी, अनियमित कॉलोनियों का नियमितीकरण रहा है। हालांकि जाम से निजात दिलाने के लिए किसान पथ का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है। इसकी वजह से रिंग रोड पर लगने वाला जाम ख़त्म होगा। इसके अलावा कई फ्लाईओवर को मंजूरी दी गई है, जिनमें कई पर काम शुरू हो चुका है। 

शहर को स्वच्छ बनाने के लिए भी कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। गोमती नदी के सफाई का मुद्दा भी अहम है। स्मार्ट सिटी के तौर पर विकसित करने के लिए मॉडर्न ट्रैफिक मैनेजमेंट पर भी तेजी से काम हो रहा है।

तीसरी बार राजनाथ सिंह मैदान में..
लखनऊ संसदीय क्षेत्र में शहर की 5 विधानसभा सीटें लखनऊ (पश्चिम) लखनऊ उत्तर, लखनऊ पूर्व, लखनऊ मध्य और लखनऊ कैन्टोनमैन्ट शामिल हैं। इस संसदीय सीट से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी 91 से लेकर 2004 तक 5 बार सांसद चुने गए। 

2009 में लाल जी टंडन और 2014 एवं 2019 में राजनाथ सिंह निर्वाचित हुए। एक बार फिर 2024 में राजनाथ हैट्रिक लगाने के लिए मैदान में हैं। भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी देश के तीन बार प्रधानमंत्री रहे। पहली बार 1996 में, 13 दिन दूसरी बार 1998 में 13 महीने और तीसरी बार लगातार 1999 से 2004 तक 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा किया।

तो त्रिकोणीय हो सकता है मुकाबला
समाजवादी पार्टी ने लखनऊ मध्य से विधायक रविदास मेहरोत्रा को उम्मीदवार बनाया है। रविदास ने केकेसी से अपनी राजनीति शुरू की थी। उनकी गिनती मुलायम सिंह के करीबियों में होती है। इसी के चलते सपा ने भाजपा का गढ़ में सेंध लगाने की जिम्मेदारी रविदास को सौंपी है। हालांकि बसपा ने लखनऊ सीट पर मुस्लिम दांव खेल दिया है। लखनऊ में ठीक-ठाक मुस्लिम आबादी होने के कारण मुकाबला त्रिकोणीय बन सकता है। सरवर मलिक के मजबूत चुनाव लड़ने से इंडिया गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार रविदास मेहरोत्रा को नुकसान हो सकता है।

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