Maharastra: सरकारी अस्पताल में दवाइयों की कमी, नांदेड़ अस्पताल में हुई 31 मौतें

महाराष्ट्र के नांदेड़ स्थित शंकरराव चव्हाण अस्पताल में मरीजों की मौत का आंकड़ा अब 31 तक पहुंच चुका है। इनमें 16 बच्चे शामिल हैं।

इमेज क्रेडिट-सोशल मीडिया प्लेटफार्म

नांदेड़ के डॉ. शंकरराव चव्हाण सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरने वालों की संख्या सोमवार की 24 से बढ़कर 31 हो गई है। इस दुखद घटना ने पिछले 48 घंटों में 16 बच्चों की जान ली। बताया जा रहा है कि इस दुखद घटना के पीछे सरकारी अस्पताल में अपर्याप्त सुविधाएं और स्टाफ और दवाओं की कमी है। इस घटना के बाद से स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मचा हुआ है।

सरकारी अस्पताल में एक के बाद एक हुई लोगों की मौत के लिए कांग्रेस समेत विभिन्न पार्टियों के नेताओं ने महाराष्ट्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र सरकार ने हाफकिन प्रशिक्षण अनुसंधान एवं परीक्षण संस्थान ने दवाओं की खरीद बंद कर दी है, जिसके कारण सरकारी अस्पतालों में दवाओं की भारी कमी है। इसके अलावा मृतकों के परिजनों ने अस्पताल के डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही का आरोप भी लगाया है।

सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार ने नांदेड़ अस्पताल में हुई मौतों के मुद्दे पर चर्चा के लिए कैबिनेट बैठक भी बुलाई है। बैठक में सरकार मौत मामले की जांच के लिए कमेटी बनाने को मंजूरी दे सकती है।

सरकार की ओर से महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ ने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से अस्पताल का दौरा करेंगे और जांच के लिए समिति का गठन किया जाएगा। उन्होंने कहा, ”हम पूरी जांच करेंगे। मैंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस को इस संबंध में जानकारी दे दी है। मैं अस्पताल का दौरा करूंगा और डॉक्टरों की एक समिति बनाई जाएगी।”

कांग्रेस ने महाराष्ट्र के नांदेड़ में एक सरकारी अस्पताल में 24 मरीजों की मौत की मंगलवार को गहन जांच की मांग की। पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने राज्य सरकार की स्वास्थ्य प्रणाली पर सवाल उठाए।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से इस घटना पर अपनी ‘चुप्पी’ तोड़ने को कहा. सोमवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में प्रियंका गांधी ने कहा, ‘‘भगवान दिवंगत आत्माओं को शांति दे. शोक संतप्त परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदना.’’ उन्होंने कहा, ‘‘जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए और प्रभावित परिवारों को मुआवजा दिया जाना चाहिए.’’

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