Ultrasound in Pregnancy: गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड की जानकारी..
गर्भावस्था जाँच: प्रेगनेंसी का हर फेज बहुत ही ज्यादा देखभाल से जुड़ा होता है और इस दौरान सही जांच, डॉक्टर की सलाह और नियमित रूप से ली जाने वाली दवाओं का खास ख्याल रखना पड़ता है। प्रेगनेंसी के दौरान यूं तो हर जांच जरूरी होती है लेकिन गर्भावस्था में नियमित अल्ट्रासाउंड कराना भी हेल्दी प्रेगनेंसी का एक बहुत ही जरूरी हिस्सा है।

अल्ट्रासाउंड इसलिए भी जरूरी होता है क्योंकि इससे डॉक्टर को ये समझने में मदद मिलती है कि मां की गर्भ में पल रहा बच्चे की ग्रोथ सही चल रही है या नहीं। प्रेगनेंसी में अल्ट्रासाउंड कब और कितनी बार करवाना चाहिए? जानें कितना जरूरी है समय पर अलट्रासाउंड करना.
डॉक्टर वैभव प्रताप सिंह (MBBS, DNB, PDCC Radiologist) के अनुसार इस लेख में हम आपको प्रेगनेंसी में अल्ट्रासाउंड से जुड़ी कुछ जरूरी जानकारी देने जा रहे हैं, जिन्हें एक महिला के साथ-साथ पुरुष को जानना चाहिए.
सामान्यतः कितनी बार कराना चाहिए अल्ट्रासाउंड
1-प्रेगनेंसी का पहला अल्ट्रासाउंड वायबेलिटी स्कैन के रूप में जाना जाता है, जिसे गर्भधारण के 6 से 9 सप्ताह में करवाने की सलाह दी जाती है। जिसमे बच्चे का हार्ट की जानकारी मिल जाती है और शिशु की दिल की धड़कन का पता चलता है।
2-दूसरा अल्ट्रासाउंड, जिसका नाम न्युकल ट्रांसलुसेंसी यानी NT होता है। इसे एक जरूरी जांच के रूप में माना जाता है और ये गर्भधारण के ग्याहरवें हफ्ते से लेकर तेरहवें हफ्ते के बीच में होता है।
3-इसके बाद TIFFA, जिसमें शिशु की ग्रोथ का सटीक अनुमान लगाया जाता है। शिशु के ORGANS का विकास सही है या नहीं, इसकी जानकारी मिलती है।
4-गर्भावस्था के 8वें महीने में OBS डॉप्लर टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है। शिशु का वजन एवं पोजीशन का पता चलता है और यह एक्पेक्टेड डेट ऑफ़ डिलीवरी(EOD) भी बताता है।
ऊपर बताये गए सभी सुझाव एवं जानकारी डॉक्टर के अंतर्गत दिया गया है जिसका उद्देश्य सिर्फ जागरूपता फैलाना .किसी भी स्वास्थ्य सम्बंधित समस्या होने पर डॉक्टर का परामर्श लेने का सुझाव दिया जाता है.
