Chaitra Navratri 2024: कब है चैत्र नवरात्रि की अष्टमी-नवमी? जाने कन्या पूजन की विधि..

Chaitra Navratri 2024: मां दुर्गा को समर्पित चैत्र नवरात्रि चल रहे हैं. इस पवित्र दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की विधिवत पूजा होती है. वैसे तो नवरात्रि के हर दिन का खास महत्व है, लेकिन इसमें महाअष्टमी और महानवमी तिथि को श्रेष्ठ माना गया है. अष्टमी और नवमी के दिन घर-घर में देवी की पूजा, हवन, कन्या पूजन होता है. आइए जानते हैं कि इस बार अष्टमी और नवमी तिथि किस दिन पड़ रही है. इसमें कन्या पूजन कैसे किया जाता है.

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कब है अष्टमी तिथि?

चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन महाष्टमी मनाई जाती है. इस दिन मां महागौरी की पूजा का विधान बताया गया है. इस बार चैत्र शुक्ल अष्टमी तिथि 15 अप्रैल को दोपहर 12.11 बजे से 16 अप्रैल दोपहर 01.23 बजे तक रहेगी. उदया तिथि के चलते महा अष्टमी 16 अप्रैल को मनाई जाएगी.  

कब है नवमी तिथि?
चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन को महानवमी मनाई जाती है. इस दिन देवी की नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा होती. इस बार चैत्र शुक्ल नवमी तिथि 16 अप्रैल को दोपहर 01.23 बजे से 17 अप्रैल को दोपहर 03.14 बजे तक रहेगी. ऐसे में नवरात्रि की महानवमी 17 अप्रैल को मनाई जाएगी. साथ ही इसी दिन नवरात्रि व्रत का पारण भी किया जाता है.

महाष्टमी और नवमी का महत्व
चैत्र नवरात्रि की अष्टमी और नवमी पर मां दुर्गा के आठवें और नौवें स्वरूप की पूजा होती है. इस दिन कन्या पूजन और हवन कर व्रत संपन्न किए जाते हैं. ऐसी मान्यताएं हैं कि जो लोग नवरात्रि में व्रत नहीं रख पाते हैं, उन्हें अष्टमी और नवमी पर कन्या पूजन से व्रत रखने वाले साधक के समान ही फल मिल जाता है. इस दिन देवी की उपासना से मनचाहा वरदान पाया जा सकता है. चैत्र नवरात्रि की महानवमी पर राम नवमी यानी श्रीराम का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है.

अष्टमी-नवमी पर कन्या पूजन कैसे करें?
चैत्र नवरात्रि की अष्टमी या नवमी तिथि पर सुबह स्नानादि के बाद मां गौरी या सिद्धिदात्री की पूजा का संकल्प लें. साफ वस्त्र धारण करके पूजा प्रारंभ करें. देवी को पूजा में चंदन, रोली, मौली, कुमकुम, अक्षत, मोगरे का फूल, अवश्य अर्पित करें. देवी को उसका प्रिय भोग अर्पित करें. इसके बाद नौ कन्याओं को भोज के लिए आमंत्रित करें. घर फूलों की वर्षा से उनका स्वागत करें. थाल में पानी लेकर उनके चरण धुलाएं. इसके बाद उन्हें पूरी, चने व हलवे का प्रसाद खाने के लिए दें. प्रसाद ग्रहण करने के बाद उनके चरण छूकर आशीर्वाद जरूर लें.

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