GANESH CHATURTHI 2023 : इस शुभ मुहूर्त में स्थापित करें गणपति,जानिए महत्व और पूजन विधि

भगवान गणेश को समर्पित त्योहार गणेश चतुर्थी का आने ही वाला है और अब इस त्योहार  की तैयारियां जोरों पर है। हर साल भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। इस दिन गणेश जी का जन्म दिवस है, इसलिए इसे गणेश जयंती भी कहते हैं। विशेष रूप से यह त्योहार महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी का महापर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

आपको बता दे कि, इस वर्ष गणेश चतुर्थी 19सितंबर से प्रारंभ हो रही है। यह 10दिनों का उत्सव होता है। लोग अपने घरों में गणेश जी की मूर्ति स्थापना करते हैं, विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं और फिर एक निश्चित समय पर उनका विसर्जन कर देते हैं। जो लोग 10दिनों के लिए बप्पा को घर पर स्थापित करते हैं, वे गणेश चतुर्दशी को उनका वि​सर्जन करते हैं। इस वर्ष गणेश चतुर्थी के अवसर पर तीन शुभ योग बन रहे हैं और एक विशेष संयोग बन रहा है।

गणेश चतुर्थी के 3शुभ योग

केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार, इस वर्ष की चतुर्थी तिथि रवि योग में है। इसके अलावा दो शुभ योग ब्रह्म और शुक्ल योग भी बन रहे हैं। 19सितंबर को मंगलवार प्रात: 11:01 am से लेकर देर रात 01:28बजे तक है। वहीं शुक्ल योग प्रात:काल से लेकर रात 10:48बजे तक है। उसके बाद से ब्रह्म योग प्रारंभ हो जाएगा। ये तीनों ही योग पूजा पाठ की दृष्टि से शुभ माने जाते हैं।

इमेज क्रेडिट : सोशल मीडिया

गणेश स्थापना की विधि

गणपति की स्थापना करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। स्नान करने के बाद साफ वस्त्र पहनें और इसके बाद अपने माथे पर तिलक लगाएं और पूर्व दिशा की ओर मुख कर आसन पर बैठ जाएं। आपका आसन बिल्कुल शुद्ध होना चाहिए. इसके बाद गणेश जी की प्रतिमा को किसी लकड़ी के पटरे या गेहूं, मूंग, ज्वार के ऊपर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित करें।गणपति की प्रतिमा के दाएं-बाएं रिद्धि-सिद्धि को भी स्थापित करें और साथ में एक-एक सुपारी रखें।

गणेश चतुर्थी पूजा विधि

गणेश चतुर्थी तिथि पर शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखकर सबसे पहले अपने घर के उत्तर भाग, पूर्व भाग या पूर्वोत्तर भाग में गणेश जी की प्रतिमा रखें। पूजन सामग्री लेकर शुद्ध आसन पर बैठें। गणेश भगवान की प्रतिमा की पूर्व दिशा में कलश रखें और दक्षिण पूर्व में दीया जलाएं। अपने ऊपर जल छिड़कते हुए ॐ पुण्डरीकाक्षाय नमः मंत्र का जाप करें। भगवान गणेश को प्रणाम करें और तीन बार आचमन करें तथा माथे पर तिलक लगाएं. आसन के बाद गणेश जी को पंचामृत से स्नान कराएं। उन्हें वस्त्र, जनेऊ, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य और फल चढ़ाएं. गणेश जी की आरती करें और मनोकामना पूर्ति के लिए आशीर्वाद मांगे।

गणेश चतुर्थी पर मंगलवार का विशेष संयोग

इस बार गणेश चतुर्थी 19 सितंबरको मंगलवार के दिन पड़ रहा है। मगंलवार के दिन वैसे भी गणेश जी की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब गणेश जी का जन्म हुआ था, तब उस समय कैलाश पर बुध देव भी थे। बुध देव के होने की वजह से बुधवार की पूजा के लिए प्रतिनिधि देव गणेश जी हो गए। ऐसे में देखा जाए तो मंगल योग अमंगल को दूर करके सफलता प्रदान करता है। इसमें सूर्य की स्थिति प्रबल मानी जाती है। गणेश चतुर्थी पर आप बप्पा को प्रसन्न करके अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण सफल बना सकते हैं।

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