UCPMP: दवा कंपनियों के खिलाफ सरकार हुई सख्त, डॉक्टरों को उपहार देने पर लगाया रोक

UCPMP Guidelines: डॉक्टरों को मुफ्त उपहार देने वाली दवा कंपनियों के खिलाफ केंद्र सरकार ने सख्त फैसला लिया है। सरकार ने मंगलवार को फार्मास्युटिकल विपणन के लिए एक समान संहिता (यूसीपीएमपी) अधिसूचित की है। फार्मा कंपनियां किसी कान्फ्रेंस या सेमिनार के नाम पर डॉक्टरों को विदेश दौरों का प्रस्ताव नहीं दे पाएंगी। 

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मार्केटिंग के नाम पर दवा कंपनियों और डॉक्टरों के बीच गिफ्ट के जरिए होने वाली साठ-गांठ पर आने वाले दिनों में और सख्ती हो सकती है। डॉक्टरों को मुफ्त उपहार देने पर रोकथाम को लेकर दवा कंपनियों के खिलाफ केंद्र सरकार ने कड़ा फैसला लिया है। सूत्रों की माने तो, दवा कंपनियों (Pharmaceutical companies)के लिए सरकार ने मंगलवार को फार्मास्युटिकल विपणन (Pharmaceutical Marketing) के लिए एक समान संहिता (यूसीपीएमपी) अधिसूचित (Uniform Code (UCPMP) notified) की है जिसके तहत कोई भी फार्मा कंपनी या उसका एजेंट किसी डॉक्टर और उनके परिजनों को कोई उपहार नहीं देगा।

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साथ ही विदेशों के दौरे का प्रस्ताव देना भी अपराध की श्रेणी में आएगा। देश के सभी फार्मास्युटिकल्स एसोसिएशन को लिखे पत्र में केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के संयुक्त सचिव रविंद्र प्रताप सिंह ने कहा है कि सभी एसोसिएशन को आचार समिति का गठिन करना होगा और अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर यूसीपीएमपी पोर्टल का जिक्र भी करना होगा। साथ ही समान संहिता का पालन करना होगा।

फार्मा कंपनियों द्वारा डॉक्टरों को दिए जाते है प्रलोभन

फार्मा कंपनियां किसी कान्फ्रेंस या सेमिनार के नाम पर डॉक्टरों को विदेश दौरों का प्रस्ताव देती है। पांच सितारा होटल में ठहरने और महंगे व्यंजन व रिजॉर्ट जैसे शानो शौकत से भरे ऑफर भी दिए जाते है। और सिर्फ यही नही डॉक्टरों को लुभाने के लिए फार्मा कंपनियां उन्हे चार पहिया वाहन, AC, सेलफोन, घड़ी जैसे महंगे उपहार भी देते है।

कॉन्फ्रेंस के नाम पर नहीं होंगे टूर
अधिसूचित संहिता में लिखा है कि फार्मा कंपनियां किसी कान्फ्रेंस या सेमिनार के नाम पर डॉक्टरों को विदेश दौरों का प्रस्ताव नहीं दे पाएंगी। इतना ही नहीं, पांच सितारा होटल में ठहरने और महंगे व्यंजन व रिजॉर्ट जैसे शान शौकत भरे ऑफर भी नहीं दिए जा सकेंगे। संहिता में नकद या मौद्रिक अनुदान के भुगतान पर भी रोक लगाई है।

फ्री सैंपल का रखना होगा पूरा हिसाब
संहिता में स्पष्ट किया गया है कि किसी भी ऐसे व्यक्ति को दवाओं के मुफ्त नमूने नहीं दिए जाएंगे जो ऐसे उत्पाद को लिखने के लिए योग्य नहीं है। कंपनी को हर उत्पाद का नाम, डॉक्टर का नाम, दिए गए नमूनों की मात्रा, मुफ्त नमूनों की आपूर्ति की तारीख जैसे विवरण देने होंगे।

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मरीज पर गलत प्रभाव संभव

फार्मा क्षेत्र के जानकारों का कहना है यदि डॉक्टरों को इस तरह के उपहारों के प्रलोभन में फंसाया जाता रहा तो डॉक्टरों पर उन्ही के फार्मा कंपनियों के हिसाब दवा की पर्ची लिखने का दबाव बढ़ेगा। और ऐसा होने पर न केवल लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ होगा बल्कि बाजार में उस दवा की कीमत में भी बढ़ोत्तरी देखने को मिलेगा। इन सब के चलते दवा के मामले में आम जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।

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