पाक-अफगान के बीच बढ़ा सीमा विवाद, डूरंड रेखा को नहीं मानता तालिबान

Durand Line border tension

इस्लामाबाद। पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर हाल की घटनाओं ने डूरंड रेखा के अनसुलझे मुद्दे को फिर से चर्चा में ला दिया है, जिसके कारण दोनों पक्षों के बीच तनाव बढ़ गया है।

दरअसल, ब्रिटिश काल की डूरंड रेखा, जिसे काबुल औपचारिक अंतरराष्ट्रीय सीमा के रूप में मान्यता नहीं देता, उस पर बाड़ लगाने को लेकर दोनों पड़ोसियों के बीच तनाव बढ़ रहा है।

अगस्त में तालिबान के काबुल के अधिग्रहण के बाद, पाकिस्तान ने डूरंड रेखा के मुद्दे को शांत करने की उम्मीद की थी। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से आतंकवादी हमले की चेतावनी के बावजूद पाकिस्तानी नेतृत्व ने अफगानी तालिबान का समर्थन किया।

वर्चुअल थिंक-टैंक ग्लोबल स्ट्रैट व्यू (जीएसवी) के एक संपादकीय अंश में कहा गया है कि काबुल के तालिबान के अधिग्रहण के कुछ महीनों के भीतर ही पाकिस्तान को अब परिणाम भुगतने पड़ रहे हैं।

जब तालिबान अफगानिस्तान में राजनीतिक रूप से खुद को स्थापित करने की कोशिश कर रहा है, तो डूरंड रेखा का ज्वलंत मुद्दा पाकिस्तानी सेना द्वारा बनाई गई सीमा बाड़ के कुछ हिस्सों को तालिबान द्वारा क्षतिग्रस्त करने के बाद फिर से उभर आया है।

विशेषज्ञों ने इस संभावना का अनुमान लगाया है कि मौजूदा सीमा संघर्ष संभावित रूप से काबुल और इस्लामाबाद के बीच संबंधों में दरार का कारण बन सकता है।

पाक एनएसए ने रद्द कर दी थी अफगान यात्रा

पाकिस्तानी एनएसए मोईद यूसुफ ने अपनी दो दिवसीय यात्रा को रद्द कर दिया था क्योंकि काबुल में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पाकिस्तान के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध की योजना बनाई गई थी। यूसुफ की यात्रा के दौरान सीमा पर बाड़ लगाना चर्चा के प्रमुख विषयों में से एक था।

पाकिस्तान ने 2,670 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर करीब 90 फीसदी बाड़ लगाने का काम पूरा कर लिया है ताकि आतंकवादियों के लिए आसान रास्ता रोका जा सके।

Back to top button