आयुर्वेद में क्या है उपवास का अर्थ? जानें व्रत रखने के फायदे

Ayurvedic Fasting

आयुर्वेद में उपवास का अर्थ खाना चबाने, चाटने और निगलने से परहेज करना है। उपवास, संस्कृत भाषा का शब्द है। उपवास केवल खाने से परहेज करने के बारे में नहीं है, बल्कि उन सभी सुखों से बचना है जो इंद्रियों को खुश करते हैं।

उपवास कई परंपराओं, संस्कृतियों और यहां तक ​​कि धर्मों का एक अभिन्न अंग है। ऐसा माना जाता है कि उपवास करने से मन और शरीर को कई लाभ होते हैं। हालांकि, उपवास करने का सही तरीका जानना जरूरी है।

उपवास का मतलब जरूरी नहीं कि पूरी तरह खाना त्याग दें। यह खाने के साथ विचारों और सभी अनुभवों के बारे में पूरी जानकारी रखकर प्रणाली को साफ करने की एक विधि है। अपनी प्रकृति के आधार पर ही व्रत रखें।

व्रत रखने के फायदे

 बेहतर पाचन और साफ पाचन तंत्र

शरीर और मन साफ और शांत होना

असंतुलित दोष शांत होता है

मानसिक कार्यों में सुधार

त्वचा की चमक और बालों की बनावट में सुधार

बेहतर प्रतिरक्षा प्रणाली

व्रत रखने पर इसका रखें ध्यान

भूख लगने पर ही खाएं

नींबू, अदरक, सौंफ, इलायची, पुदीना, जीरा, धनियां आदि शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने के लिए अच्छे हैं

आप हाइड्रेशन और सफाई बनाए रखने के लिए गर्म पानी पीते रहें

हरीतकी, त्रिफला या अरंडी का तेल दोष को संतुलित करके सफाई को बढ़ावा दे सकता है

उपवास के दिन कमजोरी और थकान महसूस होना सामान्य है, लेकिन आप अगले दिन से अधिक ऊर्जावान और सक्रिय महसूस करेंगे

वांछित परिणाम के लिए उपवास के दौरान अपने शरीर और दिमाग को धीमा करना हमेशा बेहतर होता है

उपवास के अंत में हल्का भोजन या जूस ही लें

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