इमरान खान ने तालिबानियों को बताया सामान्य नागरिक, गड़बड़ी के लिए अमेरिका जिम्मेदार

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने तालिबानी आंतकियों को सामान्य नागरिक बताया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अमेरिका ने अफगानिस्तान में घुसकर सब गड़बड़ कर दिया।
इमरान खान से जब पूछा गया कि एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि करीब 10, 000 पाकिस्तानी लड़ाके सीमा पार कर तालिबान की मदद करने गए हैं।
इस पर इमरान खान नाराज हो गए और बोले कि यह बिल्कुल गलत बात है, वो हमें इस बात का सबूत क्यों नहीं देते हैं?
प्रधानमंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान की समस्या का समाधान युद्ध से नहीं बल्कि राजनीतिक समझौते से संभव है।
इमरान खान ने बताया कि पाकिस्तान में तीन मिलियन अफगानी रिफ्यूजी रहते हैं, जिसमें पश्तूनी लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है। अगर युद्ध ऐसे ही चलता रहा तो अफगानिस्तान से और रिफ्यूजी पाकिस्तान आएंगे।
उन्होंने कहा कि तालिबानी सेना मजबूत है, वो सामान्य नागरिक हैं। अगर इन शिविरों में कुछ सामान्य नागरिक रहते हैं तो कैसे पाकिस्तान इन लोगों को खोज कर उन्हें मार सकता है?
अमेरिका ने अफगानिस्तान में चीजें अस्त-व्यस्त कर दी
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक इंटरव्यू में कहा कि अमेरिका ने अफगानिस्तान में चीजें अस्त-व्यस्त कर दी हैं। उन्होंने कहा कि यह सच है कि तालिबान ने 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान पर क्रूर शासन किया था।
इसके बाद अमेरिका के चलते उसे सत्ता छोड़ना पड़ा था, लेकिन 2001 के बाद अमेरिका यहां डेरा डाल दिया, जिसके बाद यहां पर सब चीज़ें बर्बाद हो गई। प्रधानमंत्री ने कहा कि अमेरिका को बहुत पहले ही राजनीतिक समाधान का विकल्प चुनना चाहिए था।
राष्ट्रपति के एलान के बाद अफगान से लौट रही अमेरिकी सेना
बता दें कि 11 सितंबर 2001 को अमेरिका पर आतंकी हमला हुआ था। इस हमले में करीब तीन हजार लोगों की मौत हुई थी। अलकायदा के आतंकियों ने इस हमले को अंजाम दिया था।
तालिबान द्वारा अल-कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को सौंपने से इनकार करने के बाद अक्टूबर, 2001 में अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला किया था।
हालांकि, हाल ही में राष्ट्रपति जो बाइडेन के एलान के बाद अमेरिकी सेना धीरे-धीरे अफगानिस्तान से लौटने लगी है।
तालिबान पर इमरान खान ने दिया बयान
इमरान खान से पूछा गया कि क्या वह सोचते हैं कि तालिबान को बढ़ने से अफगानिस्तान को फायदा होगा तो प्रधानमंत्री ने कहा कि इसका अच्छा नतीजा राजनीतिक समझौता होगा जो समावेशी हो। निश्चित ही तालिबान सरकार का हिस्सा होगा।
