गलत नजीर बन जाता बंबई HC का यह फैसला, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

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नई दिल्ली। बच्चियों से छेड़छाड़ के एक मामले में बंबई उच्च न्यायालय के ‘नो स्किन टच, नो सेक्सुअल असॉल्ट’ के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है।

बंबई HC के इस फैसले का मतलब था कि त्वचा से त्वचा का संपर्क हुए बिना नाबालिग पीड़िता के स्तन को स्पर्श करना यौन अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है। बंबई उच्च न्यायालय ने इस मामले को पॉक्सो एक्ट के तहत मानने से इनकार कर दिया था।

अब सर्वोच्च न्यायालय ने इस आदेश पर स्टे लगा दिया है। मामले की सुनवाई के दौरान एडवोकेट जनरल ने कहा कि बंबई उच्च न्यायालय के फैसले से बेहद खतरनाक मिसाल बन जाती।

इस मामले में दिया था फैसला

दिसंबर 2016 के दौरान आरोपी सतीश नागपुर में लड़की को खाने का कोई सामान देने के बहाने अपने घर ले गया। सतीश ने उसके वक्ष को पकड़ा और उसे निर्वस्त्र करने की कोशिश की। मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने 24 जनवरी को सुनवाई की।

उस दौरान अदालत ने कहा था कि किसी घटना को यौन हमले की श्रेणी में तभी स्वीकार किया जाएगा, जब स्किन टू स्किन संपर्क यानी त्वचा से त्वचा का संपर्क हुआ होगा।

अदालत का फैसला था कि किसी नाबालिग को निर्वस्त्र किए बिना उसके वक्षस्थल को छूना यौन हमला नहीं कहा जा सकता। इस तरह का कृत्य पॉक्सो अधिनियम के तहत यौन हमले के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता।

बॉम्बे हाई कोर्ट के इस फैसले पर पूरे देश में चर्चा होने लगी। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस पर विरोध जताया था।

बाल आयोग ने इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए कहा था।

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