तालिबान ने संयुक्त राष्ट्र से की पाकिस्तान की शिकायत, दी यह हिदायत

न्यूयार्क/काबुल। पिछले साल तालिबान को अफगानिस्तान की सत्ता में लाने में अहम भूमिका अदा करने वाले पाकिस्तान की शिकायत लेकर तालिबान संयुक्त राष्ट्र संघ में पहुंचा है। तालिबान का आरोप है कि पाकिस्तान की सेना ने अफगानिस्तान के खोश्त और कुनार प्रांत में 16 अप्रैल को एयरस्ट्राइक की थीं।
इसी मुद्दे पर तालिबान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चला गया है। वैसे तो पाकिस्तान के खिलाफ औपचारिक शिकायत नसीर अहमद फैक ने दी है, जो अशरफ गनी के शासन का हिस्सा थे लेकिन शिकायत का समर्थन तालिबान, हक्कानी नेटवर्क और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने भी किया है।
तालिबान का कहना है कि पाकिस्तानी सेना के अटैक में 40 लोगों की मौत हुई है, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। इसके अलावा बहुत से घरों को भी नुकसान पहुंचा है।
तालिबान, हक्कानी नेटवर्क और तहरीक-ए-तालिबान तीनों ही पश्तूनों से जुड़े हैं और वे पाकिस्तान की ओर से डूरंड लाइन पर बाड़बंदी का विरोध कर रहे हैं। इन संगठनों का कहना है कि इसके जरिए पाकिस्तान पख्तूनों को अलग करने का काम कर रहा है।
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ी आबादी पख्तूनों की है। इसके अलावा अफगानिस्तान तो पख्तून बहुल देश ही है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को भेजे पत्र में अफगानिस्तान ने लिखा है कि पाकिस्तान की सेना ने जो किया है, वह अंतरराष्ट्रीय कानूनों, मानवाधिकार के नियमों, यूएन चार्टर के सिद्धांतों का उल्लंघन है। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र महासभा और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के भी यह खिलाफ है।
पाकिस्तान कर रहा सीमा का उल्लंघन
18 अप्रैल को सुरक्षा परिषद को लिखे अपने पत्र में अफगानिस्तन ने शिकायत की है कि ‘पाकिस्तानी सेनाओं की ओर से लगातार अफगानिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन किया जा रहा है। सीमा पार से बमबारी की जा रही है।
अफगानिस्तान के अंदर घुसकर चौकियां बनाई जा रही हैं। एक दशक से ऐसा किया जा रहा है। खासतौर पर सीमा पार से बमबारी और गोलीबारी होना चिंताजनक है, जिसमें बड़े पैमाने पर लोगों की जानें भी गई हैं।
इसके चलते बड़े पैमाने पर सरकारी और निजी संपत्ति का नुकसान हुआ है, लोगों को बड़े पैमाने पर पलायन करना पड़ा है। ऐसी हरकतें लगातार की जा रही हैं और अब इस पर रोक लगनी चाहिए।
पाक को दी हिदायत- ध्यान रखना, बिगड़ जाएंगे रिश्ते
अफगानिस्तान ने हिदायत देते हुए लिखा कि इस तरह की घटनाओं से दोनों देशों के रिश्ते प्रभावित होंगे। इसके चलते अफगानिस्तान और आसपास के इलाके में शांति व्यवस्था भी कमजोर होगी।
इससे पहले भी अफगानिस्तान ने पाकिस्तान के खिलाफ यूएन में मुद्दा उठाया था, लेकिन तब सत्ता में तालिबान नहीं था बल्कि अमेरिका समर्थित हामिद करजई की सरकार थी।