कंधार पर भी तालिबान का कब्जा, काबुल से महज 130 किलोमीटर दूर

तालिबान

काबुल। अफगानिस्तान के प्रमुख शहरों पर तालिबान का तेजी से कब्जा होता जा रहा है। अब कंधार पर भी कब्जा करने की खबर आ रही है।

समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, तालिबान ने शुक्रवार को दावा किया कि उसने एक और प्रांतीय राजधानी कंधार पर कब्जा कर लिया है। अब सिर्फ राजधानी काबुल उससे बचा हुआ है।

काबुल के बाद कंधार ही अफगानिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा शहर है।

अब तालिबान का अगला टारगेट काबुल हो सकता है।

बता दें कि कंधार में ही बीते दिनों तालिबानियों ने भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश की हत्या कर दी थी।

कंधार पर कब्जा करने से पहले गुरुवार को तालिबान ने दो और प्रांतीय राजधानी गजनी और हेरात पर कब्जा कर लिया था।

तालिबानी अब काबुल से महज 130 किलोमीटर दूर है।

इस तरह से उसने अब तक 12 प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा कर लिया है। 

अब तक इन पर कब्जा

1. जरांज

2. शेबरगान

3.सर-ए-पुल

4. कुंदुज

5. तालोकान

6. ऐबक

7. फराह

8. पुल ए खुमारी

9. बदख्शां

10. गजनी

11. हेरात

12. कंधार

यहां जंग जारी

1. लश्कर गाह

कब्जाए शहरों से हजार से ज्यादा कैदी छुड़ाए

तालिबान के कब्जाए छह अफगानिस्तानी शहरों से उसने 1,000 से ज्यादा कैदी छुड़ा लिए हैं।

जेल प्रशासन के निदेशक सफीउल्लाह जलालजई ने कहा कि इनमें से ज्यादातर को नशीली दवाओं की तस्करी, अपहरण और सशस्त्र डकैती के लिए सजा सुनाई गई थी।

तालिबान ने जिन छह शहरों की जेलों में नशीली दवाओं की तस्करी, सशस्त्र डकैती और अपहरण के दोषियों को तालिबान ने छुड़ाया है, उनमें कई तालिबान आतंकी भी थे।

कुंदुज में रिहा कराए गए 630 कैदियों में 180 तालिबान आतंकी थे। इनमें से 15 को अफगान सरकार ने मौत की सजा सुनाई थी।

निमरोज प्रांत के जरांज शहर से छुड़ाए गए 350 कैदियों में से 40 तालिबान आतंकी थे।

हालांकि अफगान सरकार ने कहा है कि आतंकियों को पकड़ने के बाद जेल से छुड़ाए गए सभी कैदी दोबारा पकड़े जाएंगे।

तालिबान ने सत्ता साझा करने का प्रस्ताव ठुकराया

इस बीच अफगानिस्तान की सरकार ने तालिबान को सत्ता में भागीदारी का प्रस्ताव दिया था।

इसके बदले में अफगानिस्तान सरकार ने तालिबान से शहरों पर हमले बंद करने के लिए कहा था,

लेकिन तालिबान ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है, जिससे अमेरिकी गठबंधन की सेनाओं की वापसी के बाद जबरदस्त गृहयुद्ध की चपेट में आ गए अफगानिस्तान में शांति की उम्मीद फिलहाल खत्म हो गई है।

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