JNU में शुरू होगा आतंकवाद रोधी कोर्स, एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने दी मंजूरी

jnu

नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने नए आतंकवाद रोधी (Counter-Terrorism) कोर्स को गुरुवार को मंजूरी प्रदान कर दी। सूत्रों ने यह जानकारी दी।

हालांकि, शिक्षकों और छात्रों के एक वर्ग द्वारा इस पाठ्यक्रम की सामग्री को लेकर इसकी आलोचना की जा रही है। काउंसिल ने 14 अगस्त को हर साल ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के रूप में मनाने को भी मंजूरी दी।

जेएनयू ने एक बयान जारी करके कहा कि विश्वविद्यालय हर साल वेबिनार/सेमिनार, प्रदर्शनियां, विशिष्ट व्याख्यान, जीवित बचे लोगों के माध्यम से घटनाओं के सही विवरण को याद करते हुए और अन्य संबंधित गतिविधियों सहित विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करेगा।

ताकि युवा पीढ़ी को इस बारे में शिक्षित किया जा सके कि विभाजन के दौरान कैसे लाखों भारतीयों ने अपनी जान गंवाई थी।

बयान में कहा गया है कि इसके अलावा, राष्ट्रीय आघात के क्षण के रूप में भारत का विभाजन, विभाजन की विचारधाराओं और विचारधाराओं से संबंधित व्यापक ऐतिहासिक चरणों के साथ, विभाजन की घटनाएं जो हिंसा की ओर ले जाती हैं।

एक सभ्यता का टूटना और विभाजन के बाद के प्रभाव जहां सत्य की चुप्पी और निर्माण का निर्माण एक अस्पष्ट बातों पर फिर से विचार किया जाएगा।

जेएनयू की एकेडमिक काउंसिल ने गत 17 अगस्त को हुई एक बैठक में आतंकवाद रोधी कोर्स समेत तीन नए पाठ्यक्रमों को मंजूरी दी थी।

इनमें – ‘आतंकवाद का मुकाबला, असममित संघर्ष और प्रमुख शक्तियों के बीच सहयोग की रणनीति’; ‘इक्कीसवीं सदी में भारत का उभरता हुआ वैश्विक दृष्टिकोण’ और ‘अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का महत्व’ शामिल हैं।

जेएनयू के शिक्षकों और छात्रों के एक वर्ग ने आतंकवाद रोधी कोर्स शुरू करने पर आपत्ति जताते हुए आरोप लगाया था कि ‘जिहादी आतंकवाद’ ‘कट्टरपंथी-धार्मिक आतंकवाद’ का एकमात्र रूप है।

कोर्स में यह भी दावा किया गया है कि सोवियत संघ और चीन में कम्युनिस्ट शासन आतंकवाद के राज्य-प्रायोजक थे जिन्होंने उनके अनुसार कट्टरपंथी इस्लामी राज्यों को प्रभावित किया था।

सूत्रों ने कहा कि गुरुवार को हुई बैठक में जेएनयू एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने अन्य दो कोर्सों के साथ इस कोर्स को मंजूरी दी।

जेएनयू के कुलपति एम. जगदीश कुमार ने बुधवार को कहा था कि एक नए आतंकवाद विरोधी कोर्स के बारे में इसके शैक्षणिक गुणों में जाने के बिना “अनावश्यक विवाद” है।

काउंसिल ने हर साल विश्वविद्यालय द्वारा बी.आर. अम्बेडकर के जन्मदिन (14 अप्रैल) और महापरिनिर्वाण दिवस (6 दिसंबर) के पालन को भी मंजूरी दी।  

Back to top button