इमरान खान पर बरसे अफगान राष्ट्रपति, बोले- तालिबान की मदद को भेजे 10 हजार जिहादी

imran khan ashraf ghani in tashkent

ताशकंद (रूस)। ताशकंद में हो रहे एक क्षेत्रीय सम्मेलन में अफगानिस्तान में विदेशी आतंकवादियों के प्रवेश और तालिबान को शांति वार्ता में गंभीरता से शामिल होने के लिए प्रभावित करने में नाकाम रहने को लेकर राष्ट्रपति अशरफ गनी ने पाकिस्तान की आलोचना की।

राष्ट्रपति गनी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान, चीनी विदेश मंत्री वांग यी, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और कई अन्य देशों के नेताओं और प्रतिनिधियों की उपस्थिति में पाकिस्तान की कड़ी आलोचना की।

कहा कि तालिबान की मदद के लिए पाकिस्तान ने 10 हजार से अधिक जिहादी लड़ाके अफगानिस्तान में भेजे हैं।

सामने बैठे इमरान पर बरसे अफगान राष्ट्रपति

‘मध्य और दक्षिण एशिया: क्षेत्रीय संपर्क, चुनौतियां और अवसर पर सम्मेलन में राष्ट्रपति गनी ने कहा, ”खुफिया अनुमान संकेत देते हैं कि पिछले महीने पाकिस्तान और अन्य स्थानों से 10,000 से अधिक जिहादी लड़ाके (अफगानिस्तान में) दाखिल हुए हैं।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान शांति वार्ता में हिस्सा लेने के लिए तालिबान को प्रभावित करने और आतंकवादियों की सीमा पार गतिविधियों को रोकने के आश्वासन को पूरा करने में नाकाम रहा है।

पाक के नापाक इरादों की खोली पोल

तालिबान पिछले कुछ हफ्तों में पूरे अफगानिस्तान में तेजी से आगे बढ़ रहा है और देश के बड़े हिस्से पर कब्जा कर रहा है।

अमेरिका ने अपने अधिकांश सुरक्षाबलों को वापस बुला लिया और 31 अगस्त तक शेष बलों को वापस बुलाने का लक्ष्य रखा है।

अशरफ गनी ने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान और उनके जनरलों ने बार-बार आश्वासन दिया कि आफगानिस्तान की सत्ता में तालिबान का आना पाकिस्तान के हित में नहीं है।

उन्होंने कहा कि तालिबान का समर्थन करने वाले नेटवर्क और संगठन अफगान लोगों और राज्य की संपत्तियों एवं क्षमताओं के नष्ट होने का खुले तौर पर जश्न मना रहे हैं।

इमरान ने दी सफाई

इमरान खान ने पाकिस्तान पर लगाए आरोपों को खारिज किया और कहा कि वह अफगान राष्ट्रपति को बताना चाहेंगे कि अफगानिस्तान के हालातों का सबसे ज्यादा खामियाजा पाकिस्तान को भुगतना पड़ा है।

पिछले 15 साल में पाकिस्तान में इसके चलते 70 हजार लोगों की जान गई है। अब पाकिस्तान और ज्यादा संघर्ष नहीं चाहता है।

उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान छोड़ने के ऐलान के बाद तालिबान बातचीत का इच्छुक नहीं था।

जब वहां पर डेढ़ लाख नाटो लड़ाका थे, तब समय था तालिबान को बातचीत के लिए आमंत्रित करने का। अमेरिकी सेना के वहां से चले जाने के बाद वह बातचीत क्यों करना चाहेगा? तब तो उसे जीत की महक मिलने लगी थी।

इमरान खान ने कहा पाकिस्तान के अलावा किसी अन्य देश ने तालिबान से बातचीत की दिशा में प्रयास नहीं किया। हमने हर कोशिश की। पाकिस्तान में तालिबान के खिलाफ अभियान चलाया ताकि उसे बातचीत के लिए बाध्य किया जा सके।

इमरान खान ने कहा कि अफगानिस्तान में पिछले दो दशकों में जो हुआ है उसके लिए अमेरिका का सेना के जरिए समाधान ढूंढना भी वजह है।

उन्होंने कहा कि उनकी उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शौकत मिर्जियोयेव से इस बारे में बातचीत हुई है कि कैसे सभी पड़ोसी देश अफगान शांति प्रक्रिया में सहायता पहुंचा सकते हैं। यही हमारे हित में होगा।

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